मंगलवार, 7 मई 2013

अब प्रदेश में संभागायुक्त नशे का अवैध व्यापार करने वालों को बंद कर सकेंगे....


भोपाल 7 मई 2013। प्रदेश में मादक पदार्थों के अवैध व्यापार पर अंकुश लगाने के लिये शिवराज सरकार ने एक और ताजा कड़ा कदम उठाया है। राज्य के सभी संभागायुक्तों को यह अधिकार दिया गया है कि वे अवैध मादक व्यापार में लगे किसी भी व्यक्ति को निरुध्द यानी बंद कर सकेंगे। पहले यह अधिकार सिर्फ राज्य के गृह सचिव के पास था।
ज्ञातव्य है कि गृह विभाग के अधीन पुलिस मुख्यालय के अंतर्गत इंदौर में नारकोटिक्स विंग है जो पूरे प्रदेश में घटित होने वाली अवैध मादक पदार्थ व्यापार की घटनाओं को अपने थाने के माध्यम से प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही करती है। इस हेतु केन्द्र सरकार का स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अवैध व्यापार निवारण अधिनियम 1988 अर्थात नारकोटिक्स एक्ट पूरे प्रदेश में प्रभावशील है जिसके तहत ऐसे मामलों में कार्यवाही की जाती है। उक्त अधिनियम के तहत राज्य सरकार को अधिकार है कि वह नारकोटिक्स एक्ट के तहत कार्यवाही करने के लिये अपने किसी विशिष्ट अधिकारी को प्राधिकृत कर सके। राज्य सरकार ने 23 सितम्बर 2011 को आदेश जारी कर अपने गृह विभाग के सचिव को इस हेतु अधिकृत किया था।
लेकिन कालान्तर में महसूस किया गया कि इस अधिकार का विकेन्द्रीकरण किया जाये। इसलिये पौने दो साल बाद उक्त आदेश को संशोधित कर दिया गया है तथा अब समस्त संभागायुक्तों को उनके अपने-अपने संभागों के भीतर इस बात के लिये विशेष रुप से सशक्त किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति के संबंध में जिसमें कोई विदेशी भी सम्मिलित है, उनका यह समाधान हो जाये कि उसे मादक पदार्थों के अवैध व्यापार में लाने से रोकने की दृष्टि से ऐसा किया जाना आवश्यक है, तो वे यह निदेश देने वाला कोई आदेश कर सकेंगे कि ऐसे व्यक्ति को निरुध्द किया जाये।
नारकोटिक्स एक्ट में प्रावधान है कि जिस अधिकारी को अवैध मादक पदार्थों का व्यापार करने वालों को निरुध्द करने का अधिकार दिया जाये वह राज्य सरकार के सचिव पद से कम का न हो। संभागायुक्त सचिव स्तर के ही अधिकारी ही होते हैं इसीलिये उन्हें प्राधिकृत किया गया है। एक्ट के अनुसार, निरुध्द किये गये व्यक्ति के संबंध में दस दिन के अंदर केन्द्र सरकार को लिखित सूचना भी देनी होती है।

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