शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

पादरी को हानिकारक दवा देकर पागल करार देने की साजिश!


भोपाल 16 फरवरी 2013। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक चर्च के भीतर चल रही गड़बड़ी का खुलासा करने की कोशिश करने वाले पादरी को हानिकारक दवा दिए जाने और पागल करार देने की साजिश का पर्दाफाश हुआ है। न्यायिक दंडाधिकारी (प्रथम श्रेणी) ने आर्च विशप (महाधर्माध्यक्ष) सहित तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। 
बताया गया है कि आर्च डायसिस ऑफ भोपाल (महाधर्म प्रांत भोपाल) के फादर आनंद मुटुंगल प्रवक्ता हुआ करते थे। उनके सामने कई अनियमितताएं आईं, जिनको लेकर उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। न्यायालय में दायर की गई याचिका में मुटुंगल ने आर्च विशप लियो कार्नेलियो पर गंभीर आरोप लगाए थे। 
मुटुंगल का आरोप है कि याचिका दायर होने के बाद कार्नेलियो ने अपने दो अन्य पादरियों के साथ मिलकर उनकी हत्या की साजिश रची। मुटुंगल ने इस पूरे प्रकरण को लेकर पुलिस में शिकायत की, मगर उसे अनसुना किया गया। इस पर मुटुंगल ने न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी अलोक मिश्रा की अदालत में आवेदन दिया।  मुटुंगल ने न्यायालय को बताया कि कार्नेलिया ने अपने दो अन्य सहयोगियों मैथ्यू वी.सी. और जॉनी पी.जे. के साथ मिलकर उनकी हत्या की साजिश रची थी। पहले उन्हें जहरीली दवा देने का षडयंत्र रचा गया और बाद में पागल करार देने के लिए एक चिकित्सक का सहारा लिया गया। मुटुंगल ने अपने खिलाफ रची गई साचिष के प्रमाण के तौर पर न्यायालय में दृश्य-श्रव्य (ऑडियो-वीडियो) दस्तावेज भी प्रस्तुत किए हैं। इस मामले की सुनवाई कर न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी आलोक मिश्रा ने चर्च के तीनों पदाधिकारियों के खिलाफ हानिकारक दवा और पागल करार देने की साजिश रचने का मामला दर्ज करते हुए अगली सुनवाई एक मार्च को तय की है। 
इस प्रकरण को लेकर आईएएनएस ने आर्च विशप कार्नेलिया से चर्चा की तो उनका कहना है कि मुटुंगल के आरोप पूरी तरह निराधार हैं। यह बात सही है कि मुटुंगल की मानसिक स्थिति को ध्यान में रखकर चिकित्सक से संपर्क किया गया था। मुटुंगल के संदर्भ में उनके पास कई शिकायतें भी हैं। कार्नेलिया ने आगे कहा कि मुटुंगल पॉवर हंगरी हैं, उन्हें प्रवक्ता पद से हटाया गया है इसीलिए परेशान हैं। उनका बर्ताव भी ठीक नहीं है, लिहाजा उन्होंने तो मुटुंगल की मदद की कोशिश ही की थी।

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