शनिवार, 9 फ़रवरी 2013

प्रदेश के श्रमिकों और फैक्ट्री मालिकों पर बढ़ा टैक्स

राज्यपाल ने मंजूर किया श्रम कल्याण निधि संशोधन विधेयक
भोपाल 9 फरवरी 2013। प्रदेश के करीब चौदह हजजार कारखानों के लगभग आठ लाख श्रमिकों एवं कारखाना मालिकों पर टैक्स बढ़ गया है। यह स्थिति बनी है राज्यपाल रामनरेश यादव द्वारा मप्र विधानसभा द्वारा 10 दिसम्बर,2012 को पारित मप्र श्रम कल्याण निधि संशोधन विधेयक को स्वीकृति प्रदान करने से। इस स्वीकृत विधेयक को अधिनियम के रुप में लागू करने के सम्बन्ध में अधिसूचना जारी कर दी गई।
श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिये राज्य का श्रम कल्याण बोर्ड विभिन्न योजनायें संचालित करता है। इसके लिये धन कारखानों के श्रमिकों एवं मालिकों पर टैक्स लगाकर हासिल किया जाता है। टैक्स की इस उगाही के लिये वर्ष 1982 में मप्र श्रम कल्याण निधि कानून बनाया गया था। अब तीस साल पुराने इस कानून में संशोधन कर श्रमिकों एवं मालिकों पर लगाये जाने वाले टैक्स में वृध्दि कर दी गई है।
संशोधित कानून के अनुसार, अब कारखाने में कार्यरत प्रबंधकीय व्यक्ति उसे माना जायेगा जो दस हजार रुपये से ज्यादा मासिक मजदूरी लेता है। पहले यह प्रावधान एक हजार छह सौ रुपये प्रति माह से ज्यादा का था। इसी प्रकार पहले कारखाने के श्रमिक हर छह माह में छह रुपये अभिदाय के रुप में श्रम कल्याण मंडल को दआ करते थे परन्तु अब उन्हें दस रुपये हर छह माह में अदा करने होंगे। कारखाने के नियोजक यानी स्वामी हर छह माह में पहले 18 रुपये अभिदाय के रुप में मंडल को भुगतान करते थे परन्तु अब उन्हें तीस रुपये हर छह माह में मंडल को अदा करने होंगे।
मिलेगा अग्रिम भुगतान पर प्रोत्साहन :
यदि श्रम कल्याण निधि के तहत दिये जाने वाले अभिदाय की रकम का नियोजक यानी कारखाना मालिक अग्रिम भुगतान करते हैं तो उन्हें पांच प्रतिशत की प्रोत्साहन राशि मंडल द्वारा दआ की जायेगी। पहले यह प्रावधान नहीं था। प्रोत्साहन राशि देने से मंडल पर हर साल तीन करोड़ रुपये का आवर्ती वित्तीय भार बढ़ेगा तथा इस भार का संशोधित कानून के वित्तीय ज्ञापन में प्रावधान किया गया है। 
टैक्स न देने पर बढ़ी जुर्माने की राशि :
श्रम कल्याण मंडल को कारखाना श्रमिकों एवं मालिकों द्वारा निर्धारित समय पर अभिदाय का भुगतान न करने जुर्माने की राशि में संशोधन के जरिये इजाफा कर दिया गया है। पहले प्रथम अपराध करने पर तीन मास के कारावास के साथ पांच सौ रुपये जुर्माना लगता था परन्तु अब यह पांच हजार रुपये लगेगा। इसी प्रकार, दूसरी बार या इससे अधिक बार अभिदाय की रकम जमा न करने का अपराध किया जाता है तो जुर्माना छह माह के कारवास के साथ एक हजार रुपये के स्थान पर दस हजार रुपये वसूला जायेगा। यदि दण्ड सिर्फ जुर्माने का दिया जाता है यानी कारवास नहीं दिया जाता है तो जुर्माने की राशि अब सौ रुपये के स्थान पर दो हजार रुपये होगी। इसी प्रकार, यदि अब इस कानून और उसके नियमों की किन्हीं अपेक्षाओं के किसी ऐसे उल्लंघन या अनुपालन का कारखाना स्वामी या नियोजक दोषी है और जिसके संबंध में कोई जुर्माना उपबंधित नहीं किया गया है तो नियोजक एक वर्ष के कारावास के साथ दो हजार रुपये के जुर्माने के बजाये  बीस हजार रुपनये के जुर्माने से दण्डित होगा।



Navin Joshi, - डॉ. नवीन जोशी




- डॉ. नवीन जोशी

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