सोमवार, 28 जनवरी 2013

कसाब को माफी की पैरवी कर राष्ट्रीय मंच की सार्थकता पर सवालिया निशान लगाया


भोपाल, 28 जनवरी 2013। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद नरेन्द्रसिंह तोमर ने कहा कि राष्ट्रीय सलाहकार परिषद देश की सर्वोच्च परामर्शदात्री मंच है। यही वह शीर्ष दल, सत्तारूढ दल या गठबंधन की अनिवार्यता के रूप में तुष्टिकरण को परवान चढ़ाने में पक्षधर बन जाता है तो देश की सुरक्षा की उम्मीद कैसे की जा सकती है, किसी भी आदिवासी विचारधारा का तुष्टिकरण गणतंत्र और संविधान की मूल भावना का उल्लंघन है। राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्यों द्वारा देश के खिलाफ खुले युद्घ का ऐलान करने वाले कसाब को माफी दिये जाने के लिए राष्ट्रपति को याचिका प्रस्तुत कर देश की सुरक्षा की कब्र खोदने की साजिश की है। राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य अरूण राय, हर्ष मंदर ने राष्ट्रीय हितों के विरूद्घ पैरवी कर इस राष्ट्रीय मंच के उद्देश्यों और सार्थकता पर सवालिया निशाल लगा दिया हैं
उन्होनें कहा कि मुंबई में किये गये आतंकवादी हमले ने पौने दो सौ से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया और पचासों निरपराध लोगों को अपंग बना दिया। अरबों रूपयों की राष्ट्रीय संपत्ति आग की लपटों में स्वाहा कर दी। इस आतंकवादी हमलें के जीवित बचे सरगना आतंकवादी कसाब के बचाव के पीछे मंशा सिर्फ आतंकवाद को साम्प्रदायिक चश्में से देखकर तुष्टिकरण को बढावा देना और आतंकवाद के विरूद्घ देश के संकल्प को जर्जर बनाना रहा है। याचिका के समर्थन में इनका मानवतावादी दृष्टिकोण दिमागी दिवालियापन का सबूत है। उन्होनें कहा कि अपराध की समीक्षा पुलिस करती है और न्यायालय गुण-दोष पर विचार करता है। सर्वोच्च न्यायालय ने कसाब को मृत्युदंड देकर राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्रमाणित किया। ऐसे में कसाब को माफी की पेशकश करके राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के स्वाम धन्य सदस्यों ने देश की सवा अरब जनता की भावनाओं के साथ सिर्फ खिलवा$ड किया है और उन्होनें देश के इस सर्वोच्च सलाहकार मंच पर बने रहने का संवैधानिक और नैतिक अधिकार गवां दिया है। 
नरेन्द्रसिंह तोमर ने कहा कि अजमल कसाब को क्षमा प्रदान किये जाने की याचिका प्रस्तुत करने वाले हर्ष मंदर भले ही परिषद से बाहर हो गये हो वे जिम्मेदारी से मुक्त नहीं है। अरूण राय को भी बने रहने की पात्रता नहीं बची है। ऐसी सर्वोच्च सलाहकार परिषद जिस की अध्यक्ष यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी है का इस तरह राष्ट्रीय हितों के साथ खिलवाड करना सोनिया गांधी के राष्ट्र के प्रति प्रतिवद्घता पर संदेह उत्पन्न करता है।

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