बुधवार, 30 जनवरी 2013

एनआईए ने वकील को रखा 24 घण्टे से अधिक बंधक


इंदौर, 30 जनवरी 2013। राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए द्वारा एडवोकेट जितेन्द्र शर्मा को बिना कारण बताए घर से उठवा लिया और चौबीस घण्टे से अधिक समय तक उसके क्लाइंट के संबंध में पूछताछ करते रहे। अपने साथी वकील को इस तरह गपचुप तरीके से उठाए जाने के बाद  एकजुट हुए वकीलों के दबाव के बाद देर रात एनआईए ने एडवोकेट को छोड़ा। जबकि संवैधानिक संरक्षण सर्वोच्च न्यायालय से मान्य नियमानुसार एडवोकेट को मिले विशेषाधिकार के तहत कोई भी जांच एजेंसी या पुलिस किसी भी वकील से उसके क्लाइंट के संबंध में नहीं पूछ सकती है, और न ही बिना कोई कारण बताए हिरासत में ले सकती है। मामला महु थाना क्षेत्र से जुड़ा है।
मिली जानकारी के अनुसार 28 जनवरी को एनआईए के अधिकारी देवेन्द्र सिंह अपने अन्य साथियों के सहयोग से एडवोकेट जितेन्द्र शर्मा को जोर जबरदस्ती कर उनके घर से उठा कर ले जाने लगे। जब इस कार्रवाही के संबंध में वकील सहित घर वालों नें सर्च वारंट सहित जानकारी मांगी तो एनआईए के अधिकारियों ने सभी को धमकाया और कानून का भय दिखा कर जितेन्द्र को अपने साथ ले लिया। इसके बाद वेकील के भाई एवं घरवालों ने महू थाने में जाकर अपने भाई को एनआईए द्वारा अज्ञात स्थान पर ले जाने की रपट दर्ज करानी चाही तो पहले उन्हें थाने से भगा दिया गया। तब घरवाले दूसरे दिन वकीलों और अन्य लोगों के साथ थाने पहुंचे, जिसके बाद उनका शिकायती आवेदन लिया गया।  
क्या कहता है नियम:-
भारतीय संविधान के तहत बनाए गए कानूनों में वकीलों को प्रीविलेंस ऑफ एडवोकेट के अंतर्गत इस बात की छूट दी गई है कि वे अपने मुवक्किल से संबंधित सभी जानकारियों को स्वयं तक सीमित रख सकते हैं। उन पर इस बात के लिए कोई दबाव नहीं डाला जा सकता कि वह अपने क्लाइंट की बताई गई बातों को साझा करें। संवैधानिक संरक्षण सर्वोच्च न्यायालय से मान्य एडवोकेट को मिली इस सुविधा को उसका विशेषाधिकार माना जाता है।
गौरतलब है कि एडवोकेट जितेन्द्र शर्मा सुनिल जोशी हत्याकांड के साथ अजमेर और समझौता Žलास्ट में आरोपी बनाए गए लोकेश शर्मा के वकील हैं। जोशी मर्डर केस में लोकेश 6 फरवरी तक पुलिस रिमांड पर रहते हुए एनआईए की कस्टडी में है।
अपने साथी एडवोकेट को असंवैधानिक रूप से पुलिस द्वारा ले जाए जाने से वकीलों में असंतोष व्याप्त हो गया है। इसके विरोध में इंदौर हाईकोर्ट वार और जिला वार में सभी वकीलों ने कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया है। वकीलों द्वारा घोषित यह एक दिनी हड़ताल अपना बड़ा रूप भी धारण कर सकती है, इंदौर हाईकोर्ट वार के बाद अन्य स्थानों पर भी वकीलों की स्ट्राइक होने की संभावना है।

 Source :  Hindusthan Samachar 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें