शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012

मंदसौर उद्यानिकी विभाग में 1 करोड़ का घोटाला

- उज्जैन लोकायुक्तटीम ने भोपाल भेजी जांच रिपोर्ट, उज्जैन उद्यानिकी विभाग भी निशाने पर
उज्जैन. 14 दिसंबर 2012। मंदसौर उद्यानिकी विभाग में कृषि उपकरण खरीदी के नाम पर एक करोड़ रुपए का घोटाला हो गया। यहां अधिकारियों ने फर्जी बिल लगाकर राशि निकाल ली। मामले में उज्जैन लोकायुक्त टीम ने जांच कर तीन अधिकारियों के खिलाफ भोपाल रिपोर्ट भेज दी। मप्र राज्य उद्यानिकी मिशन ने 11 अक्टूबर 2010 में विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों को उपकरण खरीदने पर अनुदान राशि देने के आदेश दिए थे। नियमानुसार यह राशि किसानों के खातों में जमा की जाना थी लेकिन वर्ष 2011 में मंदसौर के तत्कालीन सहायक संचालक एसएल नागर, एसएडीओ (सीनियर एग्रीकल्चर डेवलप ऑफिसर) एपीसिंह व लेखापाल अब्दुल लतीफ पठान ने चार योजनाओं में किसानों के लिए उपकरण खरीदी बताते 1.1 करोड़ फर्जी बिल लगाकर पास कर लिए। मामले में लोकायुक्त एसपी अरुण मिश्रा के आदेश पर डीएसपी पीएस बघेल ने जांच की। आरोप सही पाए जाने पर भोपाल मुयालय रिपोर्ट भेज दी। भोपाल सूत्रों के अनुसार मामले की समीक्षा के बाद जल्द तीनों अधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। उद्यानिकी विभाग के अनुसार नागर अब खंडवा में उपसंचालक है। वहीं सिंह व पठान मंदसौर में ही पदस्थ हैं।
कैसे किया गबन- योजनानुसार किसानों को फसलों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए आधुनिक यंत्रों का उपयोग करना के लिए प्रेरित करना था। इसमें किसान खुद उपकरण खरीदते और अधिकारियों को मौके पर जाकर सत्यापन कर तय अनुदान स्वीकृत कर किसानों के खातों में जमा करना था लेकिन अधिकारियों ने स्वयं उपकरण खरीदी दर्शाकर राशि निकाल ली।
उज्जैन उद्यानिकी पर भी निगाह- सूत्रों की मानें तो उद्यानिकी घोटाला उजागर की शुरुआत इंदौर से हुई है। वहां हाल ही में विभिन्न योजनाओं की जांच में करोड़ों रुपए का घोटाला उजागर हुआ है। इसी कड़ी में मंदसौर का मामला भी सामने आने के बाद अब उज्जैन उद्यानिकी विभाग भी निशाने पर है। यहां भी कई योजनाओं के कागजों पर चलने की सूचना मुयालय तक पहुंची है।
अब आगे - लोकायुक्त मुयालय प्रथम दृष्टया जिमेदारों पर प्राथमिकी दर्ज कर उज्जैन टीम को जांच के निर्देश देगा। जांच में अन्य नाम सामने आ सकते हैं। मुयालय रिपोर्ट पर पद का दुरुपयोग करते हुए अवैध आर्थिक लाभ के लिए शासन को हानि पहुंचा कर पद का दुरुपयोग व धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज करेगा। चालान पेश होने के बाद कोर्ट फैसला करेगी। 


-  डॉ. अरुण जैन

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