ग्वालियर, । केंद्रीय राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का कहना है कि जब प्रदेश का मुखिया सब तरफ से हताश होकर अनशन पर बैठने लग जाए, तब फिर आम आदमी तो पूरी तरह टूट जाएगा। मुखिया को चाहिए था कि वह तुरंत कदम उठाकर किसानों को मदद देता।
सिंधिया बुधवार से ग्वालियर अंचल के दौरे पर हैं। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि जहां तक उनकी जानकारी है, वहां तक आजाद भारत में किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री अनशन पर नहीं बैठा। शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के मुखिया हैं, लेकिन उन्होंने हथियार डालकर अनशन पर बैठना ठीक समझा। इससे आमजन तो बिल्कुल ही टूट जाएगा, क्योंकि मुख्यमंत्री सब कुछ कर सकता है। उन्होंने कहा कि जिस स्थान पर अनशन होना था, उसकी सजावट में ही करोड़ों रुपए खर्च हो गए। यदि यही धनराशि किसानों को दे दी होती तो शायद कुछ भला हो जाता। सिंधिया ने बताया कि पिछले वर्ष जून में केंद्र सरकार ने प्रदेश को 160 करोड़ रुपये दिए थे, लेकिन इसका हिसाब अभी तक नहीं दिया। इसके बाद फिर से 425 करोड़ रुपये दिए, लेकिन सरकार ने किसानों को इसमें से सौ करोड़ रुपये भी नहीं वितरित किए। ऐसे में अनशन पर बैठना न्यायसंगत नहीं है। सिंधिया ने कहा कि हर काम के लिए प्रदेश सरकार केंद्र से धन मांगती है, लेकिन स्वयं कुछ नहीं करती है। जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी तो एनडीए की सरकार ने क्या मदद दी। सिंधिया ने कटाक्ष किया कि हाल ही में मंडला में सौ करोड़ रुपये से ज्यादा की धनराशि खर्च कर दी। क्या इसे किसानों को नहीं दिया जा सकता था। कुल मिलाकर प्रदेश की भाजपा सरकार के मंत्री बातें ज्यादा करते हैं, लेकिन उनका काम नहीं दिखता है। क्या मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए, इस पर सिंधिया ने कहा कि वे खुद आत्म अवलोकन करें।
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सिंधिया ने कहा कि उनकी यूपीए सरकार जवाबदेही और पारदर्शिता से काम करती है। जैसे ही मामले सामने आए, उनकी सरकार ने तुरंत एक्शन लिया और अब जांच एजेंसियां अपना काम कर रही है। भाजपा के नेता चिल्लाते ज्यादा हैं, लेकिन उनका खुद का घर ही ठीक नहीं है। कर्नाटक का मामला सामने है और अब तो उनके कार्यकाल की भी जांच टेलीकॉम घोटाले में की जा रही
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