किसानों की सियासत ठंडी नहीं होने दे रही कांग्रेस-भाजपा
भोपाल। पाले के कारण चौपट फसलों से परेशान किसान मध्यप्रदेश में कांग्रेस और भाजपा की सियासी जंग का मुद्दा बन गए हैं। दोनों पार्टियां किसानों की बर्बाद फसलों पर अपनी सियासी फसलें लहलहाने में लगी हैं और इस मुद्दे को गरमाए रखने में ही अपना हित देख रही हैं। कांग्रेस जहां प्रदेश में जगह-जगह आंदोलन कर भाजपा सरकार को घेर रही है, वहीं भाजपा का किसान मोर्चा भी गुरुवार को प्रदेशव्यापी प्रदर्शन कर केन्द्र सरकार की नीतियों का विरोध करेगा।
राज्य में किसानों की हजारों करोड़ रुपये की फसलें बर्बाद हुई हैं, मगर मुआवजे में अब तक लगभग ढाई सौ करोड़ रुपये की राशि ही बंट पाई है। इसमें भी कई तरह की शिकायतें हैं। कुछ स्थानों पर किसानों ने सरकारी मदद को नाकाफी बताकर चेकों को जलाया भी है। जिनके पास जमीन नहीं है, उन्हें भी मुआवजा प्राप्त होने के मामले सामने आए हैं। कांग्रेस इन विषयों को जगह-जगह उठाकर भाजपा सरकार को घेरने में लगी है। वह पिछले तीन दिनों में दो स्थानों रायसेन और उज्जैन में किसानों को साथ लेकर धरना प्रदर्शन कर चुकी है। गुरुवार को उसकी कटनी में बड़ा आंदोलन करने की तैयारी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी किसानों के मुद्दे पर विधानसभा का घेराव करने की घोषणा कर चुके हैं। पचौरी का कहना है कि मप्र सरकार की अनदेखी के कारण किसान दुर्दशा के शिकार हैं। मुख्यमंत्री किसानों को गुमराह कर केंद्र सरकार पर दोषारोपण कर रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि मुख्यमंत्री अब तक पाले के कारण हुए नुकसान का वास्तविक आकलन तक नहीं करा पाए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार को नुकसान के तीन अलग-अलग आकड़े 5 हजार करोड़, 1505 करोड़ और 2442 करोड़ रुपये बताए हैं। इनमें से सही कौन सा है, यह चौहान ही बता सकते हैं।
वहीं सत्तारूढ़ भाजपा केंद्र सरकार की नीतियों को दोष दे रही है। गुरुवार को पार्टी का किसान मोर्चा पूरे प्रदेश में प्रदर्शन कर केंद्र सरकार से बीज विधेयक 2004 में संशोधन की मांग करेगा और कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपे जाएंगे। मोर्चे का कहना है कि बीज विधेयक में फसल क्षतिग्रस्त होने पर प्रत्यक्ष क्षतिपूर्ति देने और नकली बीज बेचने वालों को कठोर सजा का प्रावधान भी किया जाना चाहिए। मोर्चा मुआवजा कमेटियों में किसानों को प्रतिनिधित्व देने की मांग भी कर रहा है। भाजपा के प्रदेश महामंत्री नंदकुमार सिंह चौहान कहते हैं, किसानों को सब्सिडी के नाम पर केंद्र सरकार दिखावा कर रही है। इसका असली लाभ कारपोरेट जगत उठा रहा है। किसान के बजाए बिचौलिये लाभ ले जाते हैं।
नहीं थम रहीं कीटनाशक पीने की घटनाएं
इस बीच प्रदेश में किसानों के आत्महत्या करने के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे। जबलपुर के पास पाटन के ग्राम कटरा-बेलखेड़ा में रहने वाले एक किसान 30 वर्षीय राकेश कुमार पिता राम सिंह ठाकुर ने कीटनाशक पीकर जान देने की कोशिश की। बताया जाता है कि पाला पड़ने से चौपट हुई फसल का मुआवजा नहीं मिलने से क्षुब्ध होकर उसने यह कदम उठाया है। उसे गंभीर अवस्था में दमोह नाका स्थित मेट्रो अस्पताल में दाखिल कराया गया है। बताया जाता है कि तीन भाइयों में सबसे छोटे राकेश ने 16 एकड़ भूमि पर मटर एवं मसूर की फसल बोई थी, जो पाला पड़ने से पूरी तरह नष्ट हो गई। इसके बाद से वह काफी परेशान रहने लगा था। घरवालों का आरोप है कि उनके गांव में चौपट फसलों का मुआयना तो किया जा रहा है, परंतु मुआवजा अभी तक किसी को भी नहीं दिया गया। इसी के चलते किसानों में निराशा बनी हुई है
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