मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011

एक ही स्थान पर सीख सकेंगे पांच भाषाएं

एक ही स्थान पर सीख सकेंगे पांच भाषाएं
भोपाल, १५ फरवरी 2011। बच्चों, युवाओं तथा बुजुर्गों में विदेशी भाषा सीखने की चाहत लगातार बढ रही है। इसकी वजहें कई हैं, कोई विदेश में शिक्षा हासिल करने के लिए विदेशी भाषा सीखता है तो कोई अपने बच्चों के पास विदेश में रहने के लिए उस देश की भाषा सीखना चाहता है। लोगों की इस जरूरत को ध्यान में रखते हुए राजधानी में भी एक छत के नीचे पांच विदेशी भाषाएं पढाने की तैयारी की जा रही है। मप्र पाठ्य पुस्तक निगम और स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी संयुक्त रूप से यह पहल करने जा रही है। उम्मीद है कि अप्रैल माह से स्कूल ऑफ फॉरेन लैंग्वेज शुरू हो जाएगा। खास बात यह है कि जर्मन, फ्रेंच, इंग्लिश, चाइनीज और रशियन भाषा के कोर्स इन्हीं देशों की अधिकारिक संस्थाएं अलग-अलग वर्ग की जरूरत के हिसाब से तैयार करके देंगी। इन संस्थाओं के साथ एमओयू किया जाएगा। भाषा सीखने के बाद इन देशों द्वारा आयोजित भाषा परीक्षा भी लाइब्रेरी द्वारा कराई जाएगी ताकि लोगों को उस देश की भाषा सीखने का प्रमाण-पत्र भी हासिल हो सके। लाइब्रेरी की एक्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग में इस प्रस्ताव को पास कराया जाएगा जिसके बाद भाषा प्रशिक्षकों को बुलाने काम शुरू होगा। इंग्लिश भाषा के अंतरराष्ट्रीय कोर्स भी कराए जाएंगे और रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली स्पोकन अंग्रेजी के अलग से कोर्स होंगे। सुबह और शाम में लगेंगी कक्षाएं लाइब्रेरी का समय सुबह १० बजे से शाम ७ बजे तक है। इस समय के अतिरिक्त सुबह और शाम ७ से ९ बजे तक कक्षाएं लगाई जाएंगी। ऐसा समय इसलिए रखा जा रहा है ताकि प्रोफेशनल्स ऑफिस जाने से पहले या ऑफिस से आने के बाद कक्षा में आसानी से शामिल हो सकें । साथ ही बच्चे स्कूल से आने के बाद शाम की कक्षाओं में आ सकते हैं। ये नियमित कक्षाएं होंगी जिसमें कोई भी व्यक्ति फीस देकर भाषा सीख सकेगा। सीबीएसई के छात्र सीखेंगे चाइनीज भाषा सीबीएसई में चाइनीज भाषा मेंडरिन अप्रैल, २०११ से शामिल की जा रही है। कक्षा छह से इस भाषा को शुरू करने पर विचार किया जा रहा है। इस पहल की वजह यह है कि भारत-चीन के बीच व्यापार तेजी से बढ रहा है। ऐसे में जरूरी है कि दोनों देशों के लोग एक-दूसरे की भाषा को समझों।

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