गुरुवार, 27 जनवरी 2011

नरोत्तम के बहाने अनूप किनारेJan 27,

भोपाल,। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संसदीय कार्य एवं आवास मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कद बढ़ाकर एक तीर से दो निशाने साधे हैं। नरोत्तम मिश्रा को आगे कर मुख्यमंत्री ने पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा को किनारे लगा दिया है।

मुख्यमंत्री चौहान ने मंगलवार की रात अचानक स्वास्थ्य विभाग नरोत्तम मिश्रा को देने की घोषणा कर सभी को चौंका दिया। मुख्यमंत्री ने यह घोषणा अनूप मिश्रा के गृह नगर और निर्वाचन क्षेत्र ग्वालियर में जाकर की। पिछले कुछ दिनों से अनूप मिश्रा की मंत्रिमंडल में वापसी की चर्चाएं चल रहीं थीं। अनूप मिश्रा को पिछले साल जुलाई में उनके इंजीनियरिंग कालेज में हुए विवाद के चलते मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था। विवाद में एक व्यक्ति की जान चली गई थी। पुलिस ने अनूप मिश्रा के परिजनों को आरोपी बनाया था। पीड़ित परिजनों के बयान के आधार पर अदालत ने अनूप मिश्रा के परिजनों का नाम आरोपियों की सूची से हटा दिया है। इसके बाद से ही मिश्रा की मंत्रिमंडल में वापसी की चर्चाएं चल रहीं थीं।

अनूप मिश्रा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे हैं। ग्वालियर-चंबल की राजनीति में उनका खासा दखल है। उनकी पहचान ब्राहम्ण नेता के तौर होती है। प्रभात झा के मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष बनने के बाद प्रदेश की ब्राहम्ण राजनीति में तेजी से बदलाव आ रहा है। मूलत: बिहार के निवासी झा का प्रभाव क्षेत्र भी ग्वालियर है। राज्य के आवास एवं संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा का प्रभाव क्षेत्र भी ग्वालियर-चंबल संभाग ही है। वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद नरोत्तम मिश्रा को लगभग एक साल तक मुख्यमंत्री चौहान ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया था। कारण उनके निकटतम लोगों के खिलाफ आयकर विभाग द्वारा की जा रही जांच था। इस जांच के चलते हुए मुख्यमंत्री चौहान ने उन्हें संसदीय कार्य जैसा गैर महत्वपूर्ण विभाग सौंपा था। लेकिन, धीरे-धीरे नरोत्तम मिश्रा, मुख्यमंत्री चौहान के सबसे करीबी मंत्री हो गए। कुछ माह पूर्व मुख्यमंत्री ने उन्हें राज्य सरकार का प्रवक्ता बनाया और आवास विभाग की जिम्मेदारी भी दी। इसके साथ ही मध्यप्रदेश गृह निर्माण मंडल का अध्यक्ष भी बनाया। अब उन्हें स्वास्थ्य जैसा भारी-भरकम विभाग देकर मुख्यमंत्री ने अपनी भावी रणनीति जाहिर कर दी है।

मुख्यमंत्री ने रणनीति के तहत ही नरोत्तम मिश्रा को स्वास्थ्य विभाग देने की घोषणा ग्वालियर में की। वहां घोषणा कर उन्होंने दो राजनीतिक संदेश दिए। एक अनूप मिश्रा की मंत्रिमंडल में वापसी नहीं हो रही। दूसरा नरोत्तम मिश्रा का महत्व बढ़ गया है। नरोत्तम मिश्रा और अनूप मिश्रा दोनों के रिश्ते दोस्ताना है। मुख्यमंत्री ने इस दोस्ती में भी फूट डालने की कोशिश की है। मुख्यमंत्री ने किसी और मंत्री के विभाग में कोई फेरबदल नहीं किया। अनूप मिश्रा के इस्तीफे के बाद से स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री चौहान के पास ही था। मुख्यमंत्री द्वारा किसी और को विभाग ना देने के कारण ही अनूप मिश्रा की वापसी की अटकलें चल रहीं थीं।

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