खाचरौद में फर्जी दस्तावेजों से बने संविदा शिक्षक
उज्जैन, १८ जनवरी 2011 (डॉ. अरुण जैन)। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर महिला आवेदकों को नियुक्ति देने का मामला उजागर हुआ है, जिसमें जिम्मेदारों ने आंखें मूंदकर इनकी निुयक्ति कर दी। कलेक्टर डॉ. एम. गीता ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तीन अपात्र महिलाओं की नियुक्तियां निरस्त करने का आदेश दिया है। कई जिम्मेदारों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है।
मामला खाचरौद जनपद पंचायत का है, जहां संविदा शाला शिक्षक वर्ग 3 के 91 पदों के लिए मिले 9 हजार फार्मों में से 81 का चयन हुआ और समय-समय पर काउंसिलिंग भी हुई थी लेकिन भर्ती में अनियमितता की शिकायतें सामने आने पर कलेक्टर डॉ. गीता ने जांच कराई। जांच इस नतीजे पर पहुंची है कि तीन ऐसी महिलाओं को भी नियुक्तियां दे दी जो अपात्र थीं। हालांकि मामले में जनपद पंचायत के सीईओ को पहले ही निलंबित किया जा चुका है।
इनकी नियुक्तियां निरस्त-
कृष्णकांता आचार्य - आवेदन के साथ पात्रता परीक्षा 2008 का प्रमाणपत्र सह अंकसूची प्रस्तुत की, जिसमें स्पष्ट उल्लेख था कि वे अपात्र हैं। बावजूद 3 नवंबर 2009 को तृतीय काउंसिलिंग में बुलाया और चयन कर नियोजन किया।
रेखा खांडवी - मूल आवेदन के साथ पात्रता परीक्षा 2008 का प्रमाणपत्र सह अंकसूची प्रस्तुत की थी, जिसका मिलान मप्र व्यावसायिक परीक्षा भोपाल की वेबसाइट से किया, जिसमें पाया कि रेखा ने अंकसूची के प्राप्तांकों में काटा-छांटी कर अंक बढ़ाए। 84.44 को बदलकर 124.44 कर दिया।
कृष्णा डाबी - आवेदन के साथ पात्रता परीक्षा 2008 का प्रमाणपत्र सह अंकसूची ही प्रस्तुत नहीं की गई। व्यावसायिक परीक्षा मंडल की वेबसाइट से मिलान करने पर कृष्णा को अपात्र दर्शाया गया, लेकिन उसे 130 अंक देकर नियुक्ति दे दी गई।
34 फार्म ही गायब - जांच में यह बात भी सामने आई है कि 3 नवंबर 2009 को हुई तीसरी काउंसलिंग में आए 42 आवेदन पत्रों में से 9 ही मिले, जबकि 34 फार्म मिले ही नहीं। ये फार्म कहां और कैसे गायब हो गए।
जनपद पंचायत खाचरौद में संविदा शिक्षकों की भर्ती में अनियमितता के मामले की जांच चार सदस्यीय समिति से कराई गई है। जांच रिपोर्ट मिल गई है, जिसके आधार पर तीन अपात्र नियुक्तियों को निरस्त करने का निर्णय लिया गया है। जो लोग दोषी हैं, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करेंगे।
- डॉ. एम. गीता, कलेक्टर उज्जैन
Date: 18-01-2011 Time: 18:38:57
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