फिंगर प्रिंट विशेषज्ञों की तेरहवी अखिल भारतीय कान्फ्रेंस का शुभारंभ
क्राइम एण्ड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क सिस्टम के क्रियान्वयन में रोल मॉडल बना मध्यप्रदेश, आम लोगों के प्रति संवेदनशील व्यवस्था से मध्यप्रदेश बना शांति का टापू- गृह मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता
भोपाल 6 जनवरी 2011। फिंगर प्रिंट अब अनपढ़ व्यक्तियों की पहचान न होकर सुरक्षा से जुड़े संसाधनों और कम्प्यूटराईज्ड उपकरणों के इस्तेमाल में व्यक्तिगत पासवर्ड द्वारा पहचान का जरिया बन चुके हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापक इस्तेमाल से और आधुनिकतम तकनीकों के उपयोग से प्रत्येक अपराधी का फिंगर प्रिंट अब देश के अन्य हिस्सों में देखा जा सकता है। इससे जटिल अपराधों की पड़ताल और अपराधियों की धरपकड़ अब बेहद आसान हुई है। फिंगर प्रिंट के जरिये अपराधियों की पहचान, अनुसंधान और अपराधों की रोकथाम के उद्देश्य से फिंगर प्रिंट विशेषों की तेरहवीं अखिल भारतीय कान्फ्रेंस आज से भोपाल में शुरू हुई। दो दिवसीय इस आयोजन में देशभर के फिंगर प्रिंट विशेषज्ञ आटोमेटेड फिंगर प्रिंट आईडेंटीफिकेशन सिस्टम (एफिस) और क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) जैसी आधुनिक तकनीकों और अपराध अनुसंधान के नये अविष्कारों के बारे में आपस में विचार मंथन करेंगे। राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (एनसीआरबी) और राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो (एससीआरबी) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस दो दिवसीय कान्फ्रेंस का शुभारंभ गृह मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता ने दीप प्रज्जवलन कर किया। इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक मध्यप्रदेश श्री एस.के. राउत तथा राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के निदेशक श्री एन.के. त्रिपाठी, सहित देश के विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से आये 80 से अधिक फिंगर प्रिंट विशेषज्ञ मौजूद थे। कान्फ्रेंस शुभारंभ करते हुये गृह मंत्री श्री गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि मध्यप्रदेश सरकार अपराधों की रोकथाम और आम लोगों की सुरक्षा के प्रति बेहद सजग है। प्रदेश में सभी पुलिस थानों में पीड़ित लोगों की रिपोर्ट बगैर भेदभाव तत्काल लिखी जाती है। आम लोगों के प्रति संवेदनशील इस व्यवस्था से प्रदेश में अमन-चैन कायम हुआ है और मध्यप्रदेश शांति के टापू के रूप में देश में अपनी पहचान बनाई है। श्री गुप्ता ने कहा कि मध्यप्रदेश राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क सिस्टम के क्रियान्वयन में देश में रोल मॉडल बनकर उभरा है। देश को अपराधों से मुक्त बनाने की दिशा में मध्यप्रदेश की यह सफलता सराहनीय है। उन्होंने कहा कि आपराधिक गतिविधियों में भी अब नई तकनीकों का उपयोग होने लगा है। अत: अपराधों की रोकथाम की दृष्टि से इस तरह के सम्मेलनों का आयोजन महत्वपूर्ण है। उन्होंने उम्मीद जताई देशभर के फिंगर प्रिंट विशेषज्ञ इस सम्मेलन में फिंगर प्रिंट विधा की आधुनिक तकनीकों, नवीन अविष्कारों तथा जटिल मामलों को सुलझाने में उन्हें मिली सफलताओं और अपने अनुभवों को आपस में साझा करेंगे। इस सम्मेलन के निष्कर्षों के माध्यम से समाज को अपराध मुक्त बनाने और राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत बनाने की दिशा में सफलता मिलेगी।
पुलिस महानिदेशक मध्यप्रदेश श्री एस.के. राउत ने इस अवसर पर कहा कि राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न आयोजनों में मध्यप्रदेश पुलिस अग्रणी भूमिका निभा रही है। श्री राउत ने कहा कि मध्यप्रदेश पुलिस के अंतर्गत राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो सीसीटीएनएस के क्रियान्वयन में देशभर में अग्रणी हैं। उन्होंने बताया कि अपराध अनुसंधान के क्षेत्र में फिंगर प्रिंट का महत्व पहले की तुलना में बढ़ा है और नये उपकरणों की मदद से बिगड़े हुये फिंगर प्रिंट भी आसानी से प्राप्त किये जा सकते हैं। अपराधों की गवाही के संबंध में फिंगर प्रिंट न्यायालय द्वारा मान्य हैं। श्री राउत ने कहा कि विगत दिनों सम्पन्न ऑल इंडिया पुलिस साइंस कांग्रेस के आयोजन में फिंगर प्रिंट द्वारा अपराध की पहचान के सर्वश्रेष्ठ कार्य के लिये मध्यप्रदेश को पुरस्कृत किया गया है।
कान्फ्रेंस में राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के निदेशक श्री एन.के. त्रिपाठी ने कहा है कि अपराधों की रोकथाम और अपराधियों की पहचान के संबंध में फिंगर प्रिंट को और प्रभावी रूप से उपयोग करने के कार्य में मध्यप्रदेश देश के अग्रणी राज्य के रूप में उभरा है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो द्वारा क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क सिस्टम तैयार किया जा रहा है। इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के उद्देश्य से मध्यप्रदेश राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को भारत सरकार द्वारा सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस सिस्टम के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश देश का रोल मॉडल बना है। श्री त्रिपाठी ने बताया कि देश में इस सिस्टम को लागू करने के लिये योजना आयोग भारत सरकार द्वारा दो हजार करोड़ रूपये की मंजूरी दी गई है। यह प्रोजेक्ट आगामी अक्टूबर 2011 तक शुरू हो जाने की उम्मीद है। इस अभिनव सिस्टम के जरिये काश्मीर से कन्याकुमारी तक देशभर के 14 हजार से अधिक पुलिस थानों और 6 हजार से अधिक वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के कार्यालयों को ब्राडबैंड के द्वारा आपस में जोड़ दिया जायेगा। देश के दुर्गम क्षेत्रों में वी सेट के माध्यम से कनेक्टिविटी प्रदान की जायेगी। इस उद्देश्य से एनसीआरबी द्वारा सलाहकार एजेंसी पीडब्ल्यूसी और क्रियान्वयन एजेंसी विप्रो की मदद से एक विशेष साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। श्री त्रिपाठी ने बताया कि सीसीटीएनएस सिस्टम की मदद से अब देशभर के सारे पुलिस थाने ऑनलाइन हो जायेंगे और सभी पुलिस थानों में एफआईआर और रोजनामचा इस विशेष साफ्टवेयर की मदद से तैयार होगा। इस व्यवस्था से थाना स्टॉफ को अनावश्यक लिखा-पढ़ी से मुक्ति मिलेगी और शेष समय का उपयोग सुरक्षा कार्यों में हो सकेगा। इस सिस्टम की मदद से प्रत्येक एफआईआर की जानकारी देशभर में देखी जा सकेगी। श्री त्रिपाठी ने बताया कि सीसीटीएनएस के क्रियान्वयन के दूसरे चरण में इसे सीबीआई, आईबी, एनआईए, पासपोर्ट, ट्रांसपोर्ट और इमीग्रेशन संबंधी गतिविधियों से जोड़ा जायेगा। इससे पासपोर्ट वेरिफिकेशन सहित विभिन्न गतिविधियों में आसनी होगी। इसके साथ ही इस सिस्टम के जरिये आम लोग घर बैठे एफआईआर दर्ज कर सकेंगे। दर्ज शिकायतों पर हुई कार्रवाई की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे तथा लापता व्यक्तियों का पता लगाने और चोरी हो गये वाहनों का पता लगाने में यह आम लोगों के लिये मददगार सिद्ध होगा।
कान्फ्रेंस के प्रारंभ में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो श्री बी.एम. कुमार तथा ब्यूरो पुलिस महानिदेशक श्री पुरूषोत्तम शर्मा ने फिंगर प्रिंट के माध्यम से अपराधों की रोकथाम और अपराध अनुसंधान कार्यों के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुये इस संबंध में उपयोग की जा रही नवीनतम तकनीकों और अविष्कारों के बारे में जानकारी दी। दो दिवसीय इस कान्फ्रेंस के शुभारंभ सत्र के पश्चात निरीक्षक श्रीमती अनिता कदम ने आभार माना।
Date: 06-01-2011
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