भर्ती हुए बगैर गैस पीड़ित की एंजियोग्राफी
भोपाल 20 जनवरी 2011। गैस पीड़ितों के इलाज के लिए बनाए गए भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) में एक मरीज को भर्ती किए बिना ही एंजियोग्राफी कर दी गई। यह खुलासा अस्पताल के दस्तावेजों से हुआ जबकि मरीज इलाज के लिए अस्पताल के चक्कर काट रहा है।
यह वाक्या चांदबड़ के रहने वाले 51 वर्षीय पवन शर्मा के साथ हुआ है। शर्मा बताते हैं कि उन्हें दिसम्बर में सीने में दर्द की शिकायत हुई। गैस पीड़ित होने और इसके लिए मिले स्मार्ट कार्ड की वजह से वह इलाज के लिए बीएमएचआरसी गए। हृदय रोग विभाग के चिकित्सक ने प्रारम्भिक जांच के बाद 15 दिन की दवाई दी।
शर्मा का आरोप है कि जब वे 14 जनवरी को अस्पताल पहुंचे तो, उन्हें बताया गया कि उनकी एंजियोग्राफी तो चार जनवरी को हो चुकी है। यह सुनकर शर्मा अचंभित हो गए कि वह अभी तक भर्ती नहीं हुए और उनकी जांच कैसे हो गई। उन्होंने बताया है कि रिपोर्ट में उनका नाम व स्मार्टकार्ड का नम्बर सही दर्ज है, लेकिन परिजन के रूप में सहमति पत्र में दीपक का नाम है जबकि उनके बेटों के नाम गिरिजेश व महेंद्र है।
दूसरी ओर भोपाल गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति की संयोजक साधना कार्णिक, भोपाल डिवीजन इंश्योरेंस यूनियन के अध्यक्ष पूषण भटटाचार्य व सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन के जिला महासचिव पी. एन. वर्मा ने संयुक्त पत्रकारवार्ता में आरोप लगाया है कि गैस पीड़ितों के नाम पर वर्षो से गैर पीड़ितों का न केवल इलाज किया जाता है, बल्कि उनके आपरेशन तक किए जा रहे हैं। यह सब कमीशन के लिए लिए किया जा रहा है।
शर्मा का आरोप है कि हृदय रोग विभाग में कार्डियोलॉजी इंफोर्मेशन सिस्टम (सीआईएस) नाम का सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके जरिए मन मुताबिक जानकारियों मिटाई या दर्ज की जा सकती हैं। लिहाजा इस सॉफ्टवेयर का उपयोग बंद किया जाए।
गैस पीड़ित के भर्ती हुए बिना आपरेशन के मामले में जब अस्पताल के निदशक के. के. मोदार व हृदय रोग विभाग के प्रमुख एस. के. त्रिवेदी से संपर्क किया गया तो,कोई जवाब नहीं मिला।
दो-तीन दिसम्बर 1984 को यूनियन कार्बाइड जैसी जहरीली गैस के रिसाव ने भोपाल मे तबही मचा दी थी। इस हादसे मेंअब तक 25 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। लाखों बीमारियों से जूझ रहे हैं।
Date: 20-01-2011
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