रविवार, 9 जनवरी 2011

5482 तेन्दूपत्ता संग्राहकों के लिये 42.41 लाख रू. का बोनस, महुआ के 20 लाख पौधे लगेंगे

आदिवासियों को आर्थिक रूप से संपन्न एवं खुशहाल बनाना शासन का संकल्प - वन मंत्री श्री सरताज सिंह

5482 तेन्दूपत्ता संग्राहकों के लिये 42.41 लाख रू. का बोनस, महुआ के 20 लाख पौधे लगेंगे
Bhopal: Sunday, January 9, 2011:

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वन मंत्री श्री सरताज सिंह ने कहा है कि आदिवासियों को आर्थिक रूप से संपन्न और खुशहाल बनाना मध्यप्रदेश शासन का संकल्प है। आदिवासियों की उन्नति के लिये उनकी स्थायी आय का जरिया होना जरूरी है, इसके लिए मध्यप्रदेश शासन द्वारा पुख्ता प्रबंध किये जा रहे हैं। श्री सिंह शनिवार को नरसिंहपुर जिले में तहसील मुख्यालय तेन्दूखेड़ा के कृषि उपज मण्डी परिसर में आयोजित तेन्दूपत्ता प्रोत्साहन पारिश्रमिक वितरण समारोह में उपस्थितों को संबोधित कर रहे थे।

समारोह में बरमान वन परिक्षेत्र के 73 फड़ के 124 ग्रामों के 5442 संग्राहकों के लिए 42 लाख 41 हजार 904 रूपये के पारिश्रमिक का वितरण किया गया। यहां वन मंत्री ने अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के 2147 तेन्दूपत्ता संग्राहकों के लिए कम्बल वितरण की शुरूआत की। कार्यक्रम में 32 वन समितियों के लिए 32 बर्तन के सेट भी प्रदान किये गये। एक सेट में 21 बर्तन शामिल हैं। इस अवसर पर बरमान परिक्षेत्र की 32 वन सुरक्षा एवं ग्राम वन समितियों के सदस्य मौजूद थे।

श्री सिंह ने आगे कहा कि आदिवासी वन के भीतर खाली जमीन पर बांस रोपण करके अपनी आय बढ़ा सकते हैं। बांस रोपण में वन विभाग द्वारा सहयोग दिया जायेगा। बांस रोपण से जो लाभ होगा उसकी 80 प्रतिशत राशि संबंधित आदिवासी हितग्राही को और शेष 20 प्रतिशत राशि समिति को दी जाएगी। बांस रोपण की देखरेख व सुरक्षा संबंधित हितग्राही को करना होगी। पांचवें वर्ष से हितग्राही बांस बेच सकेंगे। उन्होंने बताया कि यदि 500 बांस के पौधों का रोपण कर उनको सुरक्षित रखा जावे तो 7 वर्ष बाद इन बांसों से प्रतिवर्ष 50 हजार रूपये की आय होने लगेगी। बांस रोपण करके 40 वर्ष तक निरंतर लाभ लिया जा सकता है। उन्होंने आदिवासियों से महुआ, आंवला आदि के पौधे लगाने का और टसर, ककून तथा लाख उत्पादन के माध्यम से आय बढ़ाने का आग्रह किया। श्री सिंह ने पशु पालन कर डेरी उद्योग लगाने का आग्रह भी आदिवासियों से किया।

वन मंत्री ने वन आधारित कुटीर उद्योगों पर बल देते हुए कहा कि आदिवासियों के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय नहीं होने दिया जायेगा। आदिवासियों को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी समाज के सभी वर्गो की है। आदिवासियों को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना चाहिए। जंगलों से पर्यावरण संरक्षण होता है, जंगलों की सुरक्षा के प्रति सभी को सचेत रहना चाहिए। श्री सिंह ने बताया कि इस वर्ष प्रदेश में आदिवासियों के माध्यम से महुआ के 20 लाख नये पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है, साथ ही मेंढ़ों पर खमेर लगाने का फैसला किया गया है। खमेर के पेड़ 8 साल में काटने लायक हो जाते हैं, इनकी बाड़ भी बनाई जा सकती है। खमेर के करीब 300 क्विंटल बीज खरीद कर आगामी फरवरी से इसके पौधे तैयार कराकर में मेंढ़ों पर लगाये जायेंगे। इन पेड़ों के माध्यम से 8 साल बाद आदिवासियों को काफी लाभ मिलेगा।

वन मंत्री ने कहा कि तेन्दूपत्ता संग्राहकों को जल्द से जल्द बोनस देने की व्यवस्था वन विभाग द्वारा की जा रही है। एक वर्ष में दो बार तेन्दूपत्ता बोनस का वितरण शुरू किया गया है। शीघ्र ही वर्ष 2010 का तेन्दूपत्ता बोनस दिया जायेगा। अचार के पेड़ चिन्हित कर आदिवासियों को दिये जा रहे हैं। अचार की गुठली का समर्थन मूल्य तय किया गया है। अब तक प्रदेश में आदिवासियों को 27 हजार कम्बलों का नि:शुल्क वितरण किया जा चुका है। यह प्रक्रिया जारी रहेगी। आदिवासियों के मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति की व्यवस्था की गई है।






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