भोपाल। बीते बरस की यादगार फिल्म 'पीपली लाइव' का नायक नत्था व्यवस्था से नाराज होकर आत्महत्या की धमकी देता है और पूरा मीडिया उसकी आत्महत्या को कवर करने में लग जाता है। जबकि प्रशासन हर हाल में उसे रोकना चाहता है।
वह कहानी फिल्म थी और यह जिंदगी की हकीकत है। भोपाल में दो दिसंबर 1984 की रात हुई भीषण गैस त्रासदी के बाद बंद कंपनी यूनियन कार्बाइड के एक कर्मचारी, चंपालाल गुप्ता ने आगामी 26 जनवरी को आत्मदाह करने की धमकी दी है। कारण..? त्रासदी के 26 साल बाद भी उसे न्याय नहीं मिला।
चंपालाल ने कहा कि गैस कांड के बाद यूनियन कार्बाइड कंपनी ने संयंत्र को बंद कर दिया और उनके जैसे लगभग 630 कर्मचारियों को मात्र तीन महीने का वेतन देकर निकाल दिया, जबकि नियमानुसार उन्हें 75 माह का वेतन मिलना चाहिए था।
65 वर्षीय गुप्ता ने बताया कि भोपाल श्रम न्यायालय से मुकदमा जीतने के बाद लगा था कि कंपनी उनके हक का पैसा दे देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उल्टा कंपनी श्रम न्यायालय के निर्णय के खिलाफ उद्योग न्यायालय में चली गई, जहां अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने का निर्णय दिया।
उन्होंने बताया कि इसके बाद उन्होंने वर्ष 2003 में अपने अन्य साथियों सहित मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की शरण ली, लेकिन सात वर्ष से अधिक बीत जाने के बावजूद उन्हें न्याय नहीं मिल सका है।
मजदूरी कर के अपने परिवार का पेट पालने वाले गुप्ता ने बताया कि 1985 में राज्य सरकार द्वारा उन्हें मध्य प्रदेश निर्यात निगम में पांच सौ रुपये वेतन के साथ चपरासी बना दिया गया। जबकि यूनियन कार्बाइड में उन्हें ढाई हजार रुपये मिलते थे। वर्ष 2000 में मप्र निर्यात निगम भी बंद हो गया और उन्हें नौकरी से अनिवार्य सेवा निवृत्ति दे दी गई।
उस समय उन्हें लगभग डेढ़ लाख रुपये भविष्य निधि के रूप में मिले। इस राशि से उन्होंने अपने दो बेटों को ऑटो रिक्शा दिला दिया। अब दोनों बेटे भी उनसे अलग हो गए हैं और उनका हालचाल पूछने भी नहीं आते। गुप्ता ने कहा कि यदि अब भी उन्हें न्याय नहीं मिला तो वे जबलपुर में 26 जनवरी को आत्मदाह कर लेंगे।
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