शनिवार, 25 दिसंबर 2010
यदि किन्नरों के खिलाफ कोई मुक्कदमा दर्ज किया जाए तो उसकी सूचना सुप्रीम कोर्ट जरूर दी जाए।
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने किन्नरों को मुफ्त शिक्षा और चिकित्सा की सुविधाएँ प्रदान करने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायधीश ने मंगलवार को किन्नरों से संबंधी एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए चारों प्रांतों और इस्लामाबाद प्रशासन को यह आदेश दिए।
उन्होंने पुलिस को भी आदेश दिया कि वह किन्नरों का शोषण न करें और उन के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज न करें। जस्टिस इफ्तिखार ने पुलिस को यह भी आदेश दिया कि यदि किन्नरों के खिलाफ कोई मुक्कदमा दर्ज किया जाए तो उसकी सूचना सुप्रीम कोर्ट जरूर दी जाए।
मुख्य न्यायधीश ने कहा कि किन्नरों के खिलाफ इस तरह की कोई भी कार्रवाई समाजिक कल्याण विभाग और किन्नरों की संस्था के प्रतिनिधि की मौजूदगी में हो।
उन्होंने चारों प्रांतों के गृह सचिवों को आदेश दिया कि वह किन्नरों के लिए जिला और तालुका के स्तर पर प्रतिनिधि नियुक्त करें जो किन्नरों के साथ संपर्क रखे और उनकी समस्याएँ हल करने में मदद करे।
मुख्य न्यायधीश ने शिक्षा सचिव को आदेश दिया कि किन्नरों को शिक्षा के अवसर प्रदान किए जाएँ ताकि वे समाज में अपने लिए एक बहतर स्थान प्रदान कर सकें।
उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के सचिव को भी आदेश दिए कि किन्नरों को चिकित्सा की सुविधाएँ प्रदान की जाएँ और उन के मेडिकल टेस्टस भी किए जाए।
उन्होंने चारों प्रांतों को किन्नरों के पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी करने के आदेश दिए और कहा कि इस प्रक्रिया को दो महीनों के भीतर पूरा किया जाए।
अदालत में तीनों प्रांतों ने अब तक की रिपोर्ट पेश की। रिपोर्टों के अनुसार पंजाब प्रांत में 2167 किन्नरों को पंजीकृत किया गया है, पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत में 324 और बलूचिस्तान के 14 जिलों में 56 किन्नर का पंजीकरण हुआ है। सिंध प्रांत ने किन्नरों के पंजीकरण की रिपोर्ट अदालत में पेश नहीं की।
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