बुधवार, 22 दिसंबर 2010

सिंहस्थ मेला प्राधिकरण का होगा संविलयन! तीर्थ मेला प्राधिकरण के गठन की कवायद

सिंहस्थ मेला प्राधिकरण का होगा संविलयन! तीर्थ मेला प्राधिकरण के गठन की कवायद
उज्जैन, २२ दिसंबर (डॉ. अरुण जैन)। प्रदेश सरकार द्वारा उत्तरप्रदेश की तर्ज पर तीर्थ मेला प्राधिकरण गठन की तैयारी की जा रही है। इसका प्रारंभिक प्रारूप तैयार हो चुका है। खास बात यह है कि सिंहस्थ मेला प्राधिकरण को भी इसमें शामिल करने पर विचार किया जा रहा है।
मप्र में संभवत: पहली बार मेले जैसे आयोजन की व्यवस्था और तैयारियों के लिए उज्जैन में सिंहस्थ मेला विकास प्राधिकरण का गठन किया गया था। हालाँकि इसकी वास्तविक अधोसंरचना नहीं बनी है, लेकिन फिर भी यह औपचारिक रूप से चल रहा है। इस बीच सरकार ने प्रदेश में मेलों की संख्या को ध्यान में रखते हुए तीर्थ मेला प्राधिकरण बनाने का विचार किया है। तीर्थ मेला प्राधिकरण के प्रारंभिक प्रारूप के अनुसार यह एक विभाग की तरह काम करेगा। तीर्थ स्थल और मेले को व्यवस्थित एवं आकर्षक बनाने के लिए प्राधिकरण का सहारा लिया जाएगा। सुविधाओं में इजाफे की कार्य योजना भी बनेगी। प्रारंभिक प्रारूप तैयार होने के बाद इस बात पर चिंतन-मनन और समीक्षा की जा रही है कि कौन-कौन से मेले इस आयोजन में शामिल किए जाएंॅ।
नहीं मिला है दर्जा - सिंहस्थ मेला प्राधिकरण की घोषणा हुए छ: वर्ष हो चुके हैं, लेकिन इसे संवैधानिक दर्जा और अधिकार अब तक नहीं मिले हैं। कई अवसरों पर यह मुद्दा उठने के साथ ही शासन स्तर पर भी इस बात का जिक्र किया जा चुका है। हाल ही में सिंहस्थ-2016 की कार्य योजना समीक्षा बैठक में भी इस विषय को रखा गया था। इसके बाद नगरीय एवं प्रशासन राज्यमंत्री बाबूलाल गौर ने आश्वस्त किया था कि सिंहस्थ मेला प्राधिकरण के संबंध में शीघ्र ही निर्णय लेकर सभी को अवगत कराया जाएगा। तीर्थ मेला प्राधिकरण के संबंध में होने वाली आगामी बैठक में सिंहस्थ मेला प्राधिकरण को शामिल करने पर भी विचार किया जा सकता है।
क्या-क्या शामिल होगा - अकेले उज्जैन में 12 वर्ष में एक बार सिंहस्थ के अलावा वर्षभर में 227 लघु एवं वृहद स्वरूप के मेलों का आयोजन होता है। इसमें प्रशासन की शत-प्रतिशत भूमिका रहती है। इसमें मुख्य रूप से पंचक्रोशी यात्रा, सावन-भादौ मास की सवारियॉं, सोमवती अमावस्या और शनिश्चरी अमावस्या, कार्तिक पूर्णिमा, महाशिवरात्रि, नागपंचमी, चिंतामण की जत्रा जैसे अनेक आयोजन हैं। तीर्थ मेला प्राधिकरण में कौन-कौन से धार्मिक आयोजन और मेलों को शामिल किया जाएगा, इसका निर्णय पुराने इतिहास के आधार पर लिए जाने की उम्मीद है।
प्रदेश में 1400 से अधिक मेले - मप्र के विभिन्न जिलों में 1400 से अधिक धार्मिक और सांस्कृतिक मेलों का आयोजन किया जाता है। खास बात यह है कि अधिकांश की व्यवस्थाएँ शासन-प्रशासन स्तर पर जुटाई जाती हैं। प्रदेश में मुख्य रूप से रामलीला का मेला ग्वालियर, पीरबुधन मेला शिवपुरी, नागाजी मेला मुरैना, तेजाजी मेला गुना, जागेश्वरी देवी का मेला गुना, महामृत्यंजना मेला रीवा, अमरकंटक शिवरात्रि मेला शहडोल, चंडीदेवी का मेला सीधी, काना बाबा का मेला होशंगाबाद, कालूजी का मेला पश्चिम निमाड़ के पिपल्या खुर्द, घसौनी का उर्स सागर, शहाबुद्दीन औलिया का उर्स नीमच, सिंगाजी का मेला पश्चिम निमाड़ के पिपल्या, बरमान का मेला नरसिंहपुर में प्रमुख रूप से आयोजित किया जाता है। इन सभी की व्यवस्थाएँ वार्षिक कार्य योजना के आधार पर करने का उद्देश्य लेकर तीर्थ मेला प्राधिकरण के गठन पर चिंतन-मनन कर प्रारंभिक प्रारूप तैयार किया गया है।


Date: 22-12-2010





Share |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें