मंगलवार, 28 दिसंबर 2010

साध्वी उमा भारती की पार्टी में वापसी की आहट

भोपाल। साध्वी उमा भारती की पार्टी में वापसी की आहट सुनाई देते ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके मुख्यमंत्रित्व काल के पहले एजेंडे को बाहर निकाल लिया है। यह एजेंडा है उद्योग विभाग के कर्जदार उद्योगपतियों से पैसा वसूली का।

मुख्यमंत्री चौहान पिछले तीन दिन से लगातार इसी एजेंडे पर काम कर रहे हैं। तीन दिन में वे दो बार इस मुद्दे पर अफसरों की बैठक कर चुके हैं। दिग्विजय सिंह सरकार में हुए 714 करोड़ रुपए के इस घोटाले की जांच के लिए मुख्यमंत्री चौहान ने विशेष अदालत गठित करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने आज इसी मामले को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक भी मंत्रालय में की।

मुख्यमंत्री ने अफसरों से कहा कि बकायादारों के विरूद्ध दर्ज प्रकरणों के तेजी से निपटारे के लिये दो विशेष न्यायालय गठित करने की कार्रवाई शीघ्र की जाये। अदालत गठन का प्रस्ताव जनवरी की मंत्रिमंडल की बैठक में पेश किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य शासन का पैसा रसूखदारों को हड़पने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बकायादारों के विरूद्ध वैधानिक कार्रवाई के साथ ही उन्हें ब्लेक लिस्टेड करने की कार्रवाई में भी तेजी लायी जाये।

ज्ञातव्य है कि दिग्विजय सिंह के शासनकाल में राज्य औद्योगिक विकास निगम द्वारा उद्योगपतियों को कर्ज बांटा गया था। यह आईसीडी योजना के तहत दिया गया था। इस योजना के तहत उद्योगपतियों दी गई 714 करोड़ रुपए की राशि वापस नहीं मिल सकी। भाजपा ने वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में इस घोटाले को चुनावी मुद्दा भी बनाया था। उमा भारती ने मुख्यमंत्री बनते ही इस मामले में आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो में मामला भी दर्ज करा दिया था। इस मामले में दोषी आई.ए.एस. अधिकारी एस.आर. मोहंती की जांच भी उमा भारती ने शुरू कर दी थी। इस जांच के कारण ही मोहंती अब तक पदोन्नत नहीं हो पाए हैं। चौहान के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस मामले की फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी गई। उल्टे चौहान ने मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें लूप लाइन से निकलकर स्वास्थ्य विभाग का सचिव बना दिया।

उच्च पदस्थ आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एक बार फिर मामला राजनीतिक कारणों से खोजा जा रहा है। सूत्रों ने तीन कारण गिनाए। पहला कारण उमा भारती की पार्टी में वापसी की संभावना। दूसरा कारण दिग्विजय सिंह द्वारा लगातार संघ परिवार पर किए जा रहे हमले। तीसरा कारण राडिया मामले में भाजपा नेताओं का नाम आना है।

सूत्रों ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के रिश्ते आमतौर पर सामान्य रहते हैं। शिवराज सिंह चौहान ने पिछले पांच साल के अपने मुख्यमंत्रित्व काल में कभी दिग्विजय सिंह सरकार के कार्यकाल की फाइलें नहीं खोलीं। दिग्विजय सिंह ने भी कभी शिवराज सिंह चौहान पर निशाना नहीं साधा। उनके निशाने पर हमेशा ही भाजपा और संघ परिवार रहे। पिछले दिनों उन्होंने संघ परिवार पर कई तीखे हमले भी किए। चौहान द्वारा उनके कार्यकाल में हुए घोटाले की जांच के आदेश को संघ परिवार के दबाव के रूप में भी देखा जा रहा है।

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