रविवार, 21 नवंबर 2010

नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण करेगा खेतों का स्वास्थ्य परीक्षण

नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण करेगा खेतों का स्वास्थ्य परीक्षण
किसानों को मिलेगा मिट्टी के स्वास्थ्य का लेखा जोखा
भोपाल 21 नवंबर 2010। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण अपनी वृह्द सिंचाई परियोजनाओं से सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के साथ ही उत्पादकता बढ़ाने के अन्य उपायों पर भी ध्यान केन्द्रित कर रहा है। प्राधिकरण की इस पहल के अंतर्गत परियोजना से सिंचित होने वाले खेतों की मिट्टी का रासायनिक परीक्षण कर किसानों को उनके खेत के स्वास्थ्य के बारे में लेखा जोखा उपलब्ध कराया जायेगा। प्रथम चरण में मान और जोबट परियोजना सिंचाई क्षेत्रों में यह कार्य आरम्भ कर दिया गया है। इन परियोजनाओं से आदिवासी बहुल धार जिले की मनावर, गंधवानी और कुक्षी तहसीलों के लगभग 25 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में खेतों की मिट्टी परीक्षण कर किसानों को ''मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड'' देने का लक्ष्य है। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री ओ.पी.रावत ने इस संबंध में बताया कि अब तक इन परियोजनाओं के कमाण्ड क्षेत्र के 16 गांव के 761 खेतों की मिट्टी का परीक्षण कर किसानों को कार्ड दे दिये गये हैं। मिट्टी परीक्षण का कार्य इफको की चलित प्रयोगशाला द्वारा किया गया है। इस परीक्षण का विस्तार करते हुये मान और जोबट परियोजना की सिंचाई से लाभ लेने वाले लगभग 9 हजार किसानों को मिट्टी परीक्षण कर कार्ड देने का लक्ष्य है। श्री रावत ने बताया कि किसान को दिये जाने वाले इस कार्ड में किसान का नाम, गांव का नाम, खेत का विवरण लिखा होगा। इसके साथ ही खेत की मिट्टी में पाये गये रासायनिक तत्वों की मात्रा/प्रतिशत का उल्लेख होगा। इस कार्ड में मिट्टी का स्वास्थ्य सुधारने के उपाय, फसल विशेष के लिये जरूरी तत्वों का स्तर बढ़ाने के सुझाव और मिट्टी में सामान्य तौर पर जरूरी रसायनों के संतुलन के सुझाव भी अंकित होंगें। श्री रावत ने बताया कि मान और जोबट परियोजनाओं से निर्मित कुल 25 हजार हेक्टेयर क्षमता के विरूद्ध लगभग 29 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो रही है। इन परियोजनाओं को सिंचाई प्रबंधन के मॉडल के रूप में चुना गया है। नहरों के रखरखाव और सिंचाई जल के बंटवारे का काम किसानों की समितियां करती हैं। किसानों द्वारा किये जा रहे सफल जल प्रबंधन के साथ ही उत्पादकता बढ़ाने के अन्य जरूरी उपायों पर प्राधिकरण ने ध्यान केन्द्रित किया है। इसके अंतर्गत मिट्टी परीक्षण के अलावा फसल चक्र में परिवर्तन, गेहूं चने तथा अन्य फसलों की उन्नत किस्मों का चयन और किसानों की जागरूकता बढाने के उपाय किये जायेंगें। उन्नत बीज और फसल चक्र के लिये कृषि महाविद्यालय इन्दौर की सहायता ली जा रही है। श्री रावत ने बताया कि प्राधिकरण की भावी परियोजनाओं से सिंचाई आरम्भ होने के साथ ही उन परियोजना सिंचित क्षेत्रों में भी ऐसे कार्यक्रम लागू किये जायेंगे।

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