भोपाल। महाकाल की नगरी उज्जैन में आयोजित गधों के मेले में इस बार सबसे महंगा गधा ग्यारह हजार रुपए का बिका। घोड़े की कीमत बीस हजार तक पहुंची।
प्रतिवर्ष कार्तिक मास की एकादशी से पूर्णिमा तक गधा मेला लगता है। इस मेले में बिकने के लिए इस बार लगभग डेढ़ हजार गधे, घोड़े और खच्चर आए हैं।
कुम्भकार महासंघ के सूत्रों का कहना है कि 18 से 21 नवम्बर तक चलने वाले गधे मेले में इस बार खरीददार ज्यादा हैं। पहले की तुलना में बिकने के लिए आए गधे तथा अन्य जानवर कम हैं।
सूत्रों ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस मेले में महाराष्ट्र,राजस्थान तथा गुजरात समेत बाहरी राज्यों के अलावा मेजबान मध्यप्रदेश के ही राजगढ़, ब्यावरा, गुना, उज्जैन आदि क्षेत्रों से क्त्रेता-विक्त्रेता आएं हैं।
इस बार के मेले में गुजरात के खरीददार ज्यादा हैं। इस मेले में गधों की संख्या तो फिर भी संतोषजनक है पर घोड़े, खच्चर पिछले वर्ष की तुलना कम आए।
बिकने के लिए आए गधों की बहुत मौज रहती है। इस मेले में उनकी काफी खातिरदारी की जाती है। इन गधों को रोजाना स्नान कराया जाता है। अच्छी खिलाई-पिलाई करके उन्हें मेले में खड़ा किया जाता है। इन गधों पर वजन लाद कर बाकायदा उनकी क्षमता परखी जाती है।
महासंघ सूत्रों ने बताया कि इस बार मेले में सबसे मंहगा गधा 11 हजार रुपए में बिका। इसके विपरीत घोडा बीस हजार रुपए में और खच्चर 15 हजार में बिका।
सबसे सस्ता गधा मात्र दो सौ रुपए में बिका। पुराने समय से मेले में गधों को पैदल ही लाया ले जाया जाता था लेकिन वर्तमान में राज्य के बाहर से इन जानवरों को ट्रकों में भरकर यहा लाया जाता है।
उच्जैन नगर पालिक निगम खरीददार से एक रुपए सैंकड़ा कर वसूलता है। निगम को इस बार भी अच्छा राजस्व प्राप्त हुआ है। मेले के आखिरी दिन मंहगें खरीददार को निगम द्वारा साफा बाध कर सम्मानित भी किया जाता है।
ujjan 21Nav2010
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