मप्र में बुजुर्गो और कुंवारों तक की नसबंदी!भोपाल, 5 नवंबर। मध्य प्रदेश में अमानवीयता की तमाम हदें पार कर बुजुर्गो से लेकर कुंवारों तक की नसबंदी कराने में हिचक नहीं दिखाई जा रही है। यह सब कुछ हो रहा है लक्ष्य हासिल करने के लिए। राज्य मानवाधिकार आयोग ने इस पर आपत्ति जताई है।प्रदेश के सिवनी इलाके में छह बुजुर्गो और कुंवारों के अलावा मुरैना व भिंड में कुंवारों की नसबंदी किए जाने के मामले चर्चा में हैं। सिवनी के लखनादौन में वर्ष 2009 में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक शिविर लगा था। इसमें जिन लोगों की नसबंदी की गई थी उनमें से तीन बुजुर्ग और तीन कुंवारों के शामिल होने का मामला उठा था। यह मामला राज्य मानवाधिकार तक पहुंचा। जबलपुर की आयोग मित्र समिति के संयोजक डा. एस.सी. वटालिया ने बताया कि उनके पास लखनादौन में बुजुर्गो और कुंवारों की नसबंदी किए जाने की शिकायतें आई थीं जिसे उन्होंने आयोग के पास भेजा था। उन्हें पता चला है कि आयोग ने जांच के बाद शिकायत को सही पाए जाने पर सख्त आपत्ति जताई है। मप्र में बनी योजना के मुताबिक नसंबदी कराने वाले पुरुष को 1100 रुपये और प्रेरक को 200 रुपये देने और नसबंदी कराने वाली महिला को 600 रुपये तथा प्रेरक को 150 रुपये देने का प्रावधान है। राज्य सरकार ने स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला चिकित्सालयों तक के लिए नसबंदी का लक्ष्य तय किया है। इसी के चलते प्रेरक अपने हिस्से की राशि पाने और चिकित्सक लक्ष्य पूरा करने के लिए उम्र और सम्बंधित व्यक्ति के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल किए बिना ही आपरेशन कर देते हैं। मुरैना में एक अविवाहित और भिंड में मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति की नसबंदी कर दिए जाने का मामला सामना आया है।दूसरी ओर, प्रदेश के स्वास्थ्य राज्यमंत्री महेंद्र हार्डिया इन मामलों से अनजान हैं। उन्होंने कहा कि बुजुर्गो और कुंवारों की नसबंदी किए जाने की शिकायत उन तक नहीं आई है और न ही उन्हें इसकी जानकारी है। उन्होंने कहा कि अगर शिकायत आती है तो आवश्यक कदम उठाया जाएगा।
भोपाल, 5 नवंबर। मध्य प्रदेश में अमानवीयता की तमाम हदें पार कर बुजुर्गो से लेकर कुंवारों तक की नसबंदी कराने में हिचक नहीं दिखाई जा रही है। यह सब कुछ हो रहा है लक्ष्य हासिल करने के लिए। राज्य मानवाधिकार आयोग ने इस पर आपत्ति जताई है।प्रदेश के सिवनी इलाके में छह बुजुर्गो और कुंवारों के अलावा मुरैना व भिंड में कुंवारों की नसबंदी किए जाने के मामले चर्चा में हैं। सिवनी के लखनादौन में वर्ष 2009 में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक शिविर लगा था। इसमें जिन लोगों की नसबंदी की गई थी उनमें से तीन बुजुर्ग और तीन कुंवारों के शामिल होने का मामला उठा था। यह मामला राज्य मानवाधिकार तक पहुंचा। जबलपुर की आयोग मित्र समिति के संयोजक डा. एस.सी. वटालिया ने बताया कि उनके पास लखनादौन में बुजुर्गो और कुंवारों की नसबंदी किए जाने की शिकायतें आई थीं जिसे उन्होंने आयोग के पास भेजा था। उन्हें पता चला है कि आयोग ने जांच के बाद शिकायत को सही पाए जाने पर सख्त आपत्ति जताई है। मप्र में बनी योजना के मुताबिक नसंबदी कराने वाले पुरुष को 1100 रुपये और प्रेरक को 200 रुपये देने और नसबंदी कराने वाली महिला को 600 रुपये तथा प्रेरक को 150 रुपये देने का प्रावधान है। राज्य सरकार ने स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला चिकित्सालयों तक के लिए नसबंदी का लक्ष्य तय किया है। इसी के चलते प्रेरक अपने हिस्से की राशि पाने और चिकित्सक लक्ष्य पूरा करने के लिए उम्र और सम्बंधित व्यक्ति के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल किए बिना ही आपरेशन कर देते हैं। मुरैना में एक अविवाहित और भिंड में मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति की नसबंदी कर दिए जाने का मामला सामना आया है।दूसरी ओर, प्रदेश के स्वास्थ्य राज्यमंत्री महेंद्र हार्डिया इन मामलों से अनजान हैं। उन्होंने कहा कि बुजुर्गो और कुंवारों की नसबंदी किए जाने की शिकायत उन तक नहीं आई है और न ही उन्हें इसकी जानकारी है। उन्होंने कहा कि अगर शिकायत आती है तो आवश्यक कदम उठाया जाएगा।
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