सोमवार, 6 सितंबर 2010

कश्मीर प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर - अनुराग ठाकुर


कश्मीर प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर - अनुराग ठाकुर
भोपाल। भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग ठाकुर व प्रदेशाध्यक्ष जीतू जिराती के भोपाल आगमन पर राजा भोज विमानतल पर जोरदार स्वागत किया गया। पत्रकारों से चर्चा के दौरान युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने कहा कि कश्मीर उनकी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर है, जहां कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के साथ कश्मीर की उमर सरकार की गलत नीतियों के कारण समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। उन्होंने कहा कि अयोध्या का मामला कोर्ट में लंबित है, इसलिए पार्टी के साथ मोर्चे को भी उसके फैसले का इंतजार है। ठाकुर ने एक सवाल के जवाब में भोपाल यात्रा के दौरान प्रचार में पोस्टर-बैनर से बनाई गई दूरी को प्रदेश इकाई का निर्णय बताया। वहीं जनसंख्या पर नियंत्रण के मामले में पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा कांग्रेस नेता स्वर्गीय संजय गांधी की तारीफ से यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि यह उनकी निजी राय है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद मोर्चा द्वारा शुरू किए गए जा रहे राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम ?इंडिया फर्स्ट? का औपचारिक शुभारंभ और प्रदेश अध्यक्ष जीतू जिराती को कार्यभार ग्रहण करवाने खासतौर से भोपाल आए अनुराग ठाकुर ने मीडिया से चर्चा के दौरान प्रदेश और देश से जुड़े जीवंत मुद्दों पर अपनी बात बेबाकी से रखी। बाद में मोर्चा के कार्यक्रम में अनुराग की हौसलाअफजाई के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा, राष्ट्रीय महासचिव नरेंद्र सिंह तोमर, मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विश्वास सारंग शामिल हुए। इस कार्यक्रम के मंच पर संगठन महामंत्री माखन सिंह और सह संगठन महामंत्रीद्वय भगवतशरण माथुर और अरविन्द मेनन की गैरमौजूदगी चर्चा में रही तो उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कार्यक्रम शुरू होने से पहले देशभक्ति के गीत गाकर समां बांधा। दो बार के सांसद और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेमप्रकाश धूमल के पुत्र अनुराग ने जम्मू-कश्मीर में बढ़ती हिंसा और अलगाववाद पर केंद्र की मनमोहन सरकार और कश्मीर की उमर फारुख की गठबंधन वाली सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े किए। उन्होंने स्पष्ट किया कि मोर्चा के एजेंडे में देश का सम्मान और उसका विकास सबसे ऊपर है। ठाकुर ने युवाओं में जोश भरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अलबत्ता, अनपेक्षित तौर पर युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पोस्टर और बैनर सड़कों और चौक-चौराहों पर नजर नहीं आए।
भोपाल यात्रा के दौरान युवा मोर्चा द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष के छायाचित्रों के लिए पोस्टर और बैनर से दूरी बनाए जाने के निर्णय को ठाकुर ने प्रदेश इकाई का निर्णय करार देते हुए उसे न चाहते हुए भी स्वीकार किया है। मोर्चाध्यक्ष के मुताबिक वे काम पर विश्वास कर लोगों का दिल जीतने में यकीन रखते हैं। उन्होंने कहा कि यदि वे देशहित में मोर्चा की गतिविधियों को आगे बढ़ाएंगे तो आज नहीं तो कल मीडिया उन्हें जरूर तवज्जो देगा। जब उनसे यह पूछा गया कि क्या पोस्टर में खुद की फोटो से दूरी बनाने का यह आदर्श भोपाल और मध्यप्रदेश से बाहर दूसरे राज्यों में भी जारी रहेगा, तो वे इस सवाल को बखूबी टाल गए। अलबत्ता, इशारों ही इशारों में उन्होंने यह भी जता दिया कि यदि प्रदेश इकाई इसका उपयोग करती है तो उन्हें कोई ऐतराज नहीं। गौरतलब है कि प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा ने मध्यप्रदेश में प्रचार-प्रसार के लिए पोस्टर-बैनर में खुद के फोटो का उपयोग नहीं करने की गाइडलाइन बनाई है और इसके बाद पोस्टर युद्ध की प्रतिस्पर्धा से नेताओं और कार्यकर्ताओं ने काफी हद तक दूरी बना ली है। पूर्व में प्रदेश अध्यक्ष रहते शिवराज सिंह चौहान ने भी पचमढ़ी में पोस्टर के मामले में ऐसा फैसला लिया था तो संगठन महामंत्री माखन सिंह ने भी पार्टी फोरम पर कई बार पोस्टरों से दूरी बनाने का आग्रह किया था।
शिवराज से असहमत अनुराग
मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग ठाकुर से जब यह पूछा गया कि क्या वे संजय गांधी के परिवार नियोजन कार्यक्रम से सहमत हैं तो उनका कहना था कि शिक्षित कर जागरूकता के जरिए इस अभियान को चलाया जाना ज्यादा उचित होगा। जब उन्हें बताया गया कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संजय गांधी की इस मामले में सार्वजनिक तौर पर तारीफ की थी तो उनका कहना था कि लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार है।
अयोध्या पर पत्ते नहीं खोले
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अयोध्या के मामले में मोर्चा अपनी रणनीति का खुलासा न्यायालय का निर्णय आने के बाद करेगा। मोर्चा का ध्यान फिलहाल कश्मीर की ओर है, जिसके लिए उसने ?इंडिया फर्स्ट? कार्यक्रम का आगाज देश के हृदयप्रदेश मध्यप्रदेश से करने का निर्णय लिया है।
35 साल से ऊपर के भी मंजूर
ठाकुर ने स्पष्ट किया कि युवा मोर्चा में पदाधिकारियों की औसत आयु 35 वर्ष है। ऐसे में कार्यकारिणी समेत प्रदेश अध्यक्षों और उनकी टीम में युवा, कर्मठ और अनुभवी चेहरों को मौका देने का विकल्प खुला है, जो उम्र के मापदंड पर इस आयु सीमा को पार भी कर चुके हैं।
Date: 06-09-2010

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