बुधवार, 29 सितंबर 2010

जीएसटी पर प्रदेशों की मांग स्वाकार्य नहीं : राजस्व सचिव

जीएसटी पर प्रदेशों की मांग स्वाकार्य नहीं : राजस्व सचिव
नई दिल्ली, 29 सितम्बर । राजस्व सचिव सुनील मित्रा ने बुधवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों मध्य प्रदेश और गुजरात द्वारा प्रस्तुत किया गया वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का वैकल्पिक प्रारूप कर सुधारों की मूल अवधारणा से मेल नहीं खाता इसलिए भाजपा शासित राज्यों की यह मांग स्वीकार योग्य नहीं है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित एक सम्मेलन के दौरान मित्रा ने कहा, "यह सुझाव स्वीकार करने योग्य नहीं हैं। यह प्रस्ताव मूल अवधारणा से मेल नहीं खाते और जीएसटी के मूल उद्देश्य को निष्फल करते हैं।"
पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता की अध्यक्षता वाले प्रदेशों के वित्त मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह और भाजपा शासित राज्यों ने जीएसटी के इस वैकल्पिक प्रारूप को प्रस्तावित किया था।
दासगुप्ता की अध्यक्षता वाले समूह ने सुझाव दिया था कि संविधान में संशोधन किए बिना प्रदेशों को सेवा कर की दर तय करने का अधिकार दिया जाए। मध्य प्रदेश सरकार ने भी संविधान में संशोधन किए बिना प्रदेशों की सरकारों को सेवा कर लागू करने का अधिकार दिए जाने की मांग की थी।
मित्रा ने कहा, "अधिकारिता समूह और इन प्रदेशों की मांग मानने में अक्षमता के लिए हमें खेद है।"
उन्होंने कहा, "यदि हम प्रदेशों को सेवा कर की दर तय करने का अधिकार देंगे तो, कर सुधारों से क्या हासिल होगा?"
मित्रा ने कहा, "हमारा स्पष्ट कहना है कि यह प्रस्ताव कर सुधार की मूल अवधारणा को लागू नहीं होने देता इसलिए हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते। इसमें प्रस्ताव को खारिज करने की कोई बात नहीं है।"
मित्रा ने कहा कि अधिकार प्राप्त समूह अक्टूबर के अंत में मुलाकात करेगा और इस मामले पर सहमति बनाई जाएगी।
जीएसटी केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर, वैल्यू एडेड टैक्स (वैट), स्थानीय कर, उपकर और अधिभारों के स्थान पर लागू किया जाना है।

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