बुधवार, 4 अगस्त 2010

अजा, अजजा छात्रों से केन्द्र का भेदभाव

अजा, अजजा छात्रों से केन्द्र का भेदभाव

छात्रवृत्ति में 50 फीसदी भागीदारी से फेरा मुँह, राज्य सरकार करती है सालाना 185 करोड़ की भरपाई, राज्यमंत्री श्री खटीक ने दर्ज कराया विरोध
Bhopal:Wednesday, August 4, 2010:Updated 17:30IST

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गाहे-बगाहे प्रदेश में केन्द्र से मिले पैसों का उपयोग न होने या दुरुपयोग किये जाने के दावे किये जाते रहे हैं। लेकिन ऐसा करने वालों के लिये कड़वी सच्चाई यह जानना होगा कि प्रदेश के अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों को सालाना दी जाने वाली छात्रवृत्ति में अपनी 50 फीसदी भागीदारी से केन्द्र ने मुँह मोड़ रखा है। राज्य सरकार इसके चलते अकेले इस मद में सालाना 185 करोड़ रुपये के खर्च की जिम्मेदारी निभा रही है। आदिम जाति और अनुसूचित जाति कल्याण राज्यमंत्री श्री हरिशंकर खटीक ने केन्द्र के इस भेदभावपूर्ण रवैये पर अपना विरोध जताते हुए आज केन्द्रीय मंत्री श्री कांतिलाल भूरिया को एक पत्र लिखा है।

राज्यमंत्री श्री खटीक ने पत्र में यह सवाल उठाया है कि केन्द्र अजा, अजजा तबकों के छात्रों के लिये दिये जाने वाली छात्रवृत्ति में अपनी हिस्सेदारी को लेकर प्रदेश के साथ सौतेला व्यवहार क्यों कर रहा है और खासकर तब जबकि उसका यह रवैया हाल ही के वर्षों में सामने आया है। श्री खटीक ने कहा है कि राज्य सरकार इसके विपरीत पहली कक्षा से स्नातक स्तर तक इन छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति का जिम्मा अकेले उठा रही है। इन छात्रवृत्तियों पर सालाना 196 करोड़ 88 लाख रुपये और कन्या साक्षरता प्रोत्साहन पर 20 करोड़ 10 लाख रुपये समेत राज्य सरकार कोई 217 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। इस राशि में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी केन्द्र सरकार की होनी थी जिससे उसने पल्ले झाड़ रखे हैं। अब अगर इस मद में उसके खर्च की बात करें तो केन्द्र फिलहाल सिर्फ पोस्टमैट्रिक छात्रवृत्ति के लिये 30 करोड़ रुपये और दो करोड़ रुपये अस्वच्छ धंधों में लगे लोगों के बच्चों की शिक्षा के नाम से जुटा रहा है।

राज्यमंत्री श्री खटीक ने केन्द्र से इस बारे में शीघ्र न्यायोचित कदम उठाने की मांग की है। सच्चाई यह है कि कुछ सालों पहले तक तयशुदा प्रावधानों के तहत केन्द्र मध्यप्रदेश को भी इन वर्गों की छात्रवृत्ति के लिये 50 प्रतिशत राशि जुटाता रहा था। ऐसा नहीं होने के चलते अब इस मद में पूरे खर्च का प्रदेश को अतिरिक्त इंतजाम करना पड़ रहा है जिसका इस्तेमाल इन तबकों के ही अन्य कल्याण कार्यों में किया जा सकता है। श्री खटीक ने यह भी साफ किया है कि राज्य सरकार किसी भी सूरत में छात्रवृत्ति देने के लिये प्रतिबद्ध है और लगातार दे भी रही है।






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छात्रवृत्ति में 50 फीसदी भागीदारी से फेरा मुँह, राज्य सरकार करती है सालाना 185 करोड़ की भरपाई, राज्यमंत्री श्री खटीक ने दर्ज कराया विरोध
Bhopal:Wednesday, August 4, 2010:


गाहे-बगाहे प्रदेश में केन्द्र से मिले पैसों का उपयोग न होने या दुरुपयोग किये जाने के दावे किये जाते रहे हैं। लेकिन ऐसा करने वालों के लिये कड़वी सच्चाई यह जानना होगा कि प्रदेश के अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों को सालाना दी जाने वाली छात्रवृत्ति में अपनी 50 फीसदी भागीदारी से केन्द्र ने मुँह मोड़ रखा है। राज्य सरकार इसके चलते अकेले इस मद में सालाना 185 करोड़ रुपये के खर्च की जिम्मेदारी निभा रही है। आदिम जाति और अनुसूचित जाति कल्याण राज्यमंत्री श्री हरिशंकर खटीक ने केन्द्र के इस भेदभावपूर्ण रवैये पर अपना विरोध जताते हुए आज केन्द्रीय मंत्री श्री कांतिलाल भूरिया को एक पत्र लिखा है।

राज्यमंत्री श्री खटीक ने पत्र में यह सवाल उठाया है कि केन्द्र अजा, अजजा तबकों के छात्रों के लिये दिये जाने वाली छात्रवृत्ति में अपनी हिस्सेदारी को लेकर प्रदेश के साथ सौतेला व्यवहार क्यों कर रहा है और खासकर तब जबकि उसका यह रवैया हाल ही के वर्षों में सामने आया है। श्री खटीक ने कहा है कि राज्य सरकार इसके विपरीत पहली कक्षा से स्नातक स्तर तक इन छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति का जिम्मा अकेले उठा रही है। इन छात्रवृत्तियों पर सालाना 196 करोड़ 88 लाख रुपये और कन्या साक्षरता प्रोत्साहन पर 20 करोड़ 10 लाख रुपये समेत राज्य सरकार कोई 217 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। इस राशि में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी केन्द्र सरकार की होनी थी जिससे उसने पल्ले झाड़ रखे हैं। अब अगर इस मद में उसके खर्च की बात करें तो केन्द्र फिलहाल सिर्फ पोस्टमैट्रिक छात्रवृत्ति के लिये 30 करोड़ रुपये और दो करोड़ रुपये अस्वच्छ धंधों में लगे लोगों के बच्चों की शिक्षा के नाम से जुटा रहा है।

राज्यमंत्री श्री खटीक ने केन्द्र से इस बारे में शीघ्र न्यायोचित कदम उठाने की मांग की है। सच्चाई यह है कि कुछ सालों पहले तक तयशुदा प्रावधानों के तहत केन्द्र मध्यप्रदेश को भी इन वर्गों की छात्रवृत्ति के लिये 50 प्रतिशत राशि जुटाता रहा था। ऐसा नहीं होने के चलते अब इस मद में पूरे खर्च का प्रदेश को अतिरिक्त इंतजाम करना पड़ रहा है जिसका इस्तेमाल इन तबकों के ही अन्य कल्याण कार्यों में किया जा सकता है। श्री खटीक ने यह भी साफ किया है कि राज्य सरकार किसी भी सूरत में छात्रवृत्ति देने के लिये प्रतिबद्ध है और लगातार दे भी रही है।






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