गुरुवार, 9 मई 2013

अब ग्राम पंचायत क्षेत्रों में भी कालोनियां बन सकेंगी


गरीबों के आवास आरक्षित होंगे, आश्रय शुल्क का भी रहेगा प्रावधान
भोपाल 9 मई 2013। प्रदेश के नगरों के पास स्थित ग्राम पंचायतों में भी कालोनियां बन सकेंगी और उनमें कमजोर और निम्र वर्गों के लोगों के लिये आवासीय भूमि छोडऩा पड़ेगी अथवा आश्रय शुल्क देकर इस अनिवार्यता से मुक्त होना होगा। ऐसा हुआ है मप्र विधानसभा द्वारा गत 19 मार्च 2013 को विपक्ष के हंगामे के बीच बिना चर्चा के पारित मप्र पंचायतराज एवं ग्राम स्वराज संशोधन अधिनियम को राज्यपाल द्वारा मंजूरी प्रदान किये जाने से। यह नया कानून पूरे प्रदेश में प्रभावशील हो गया है।
नया संशोधित कानून उन ग्राम पंचायतों पर लागू होगा जो किसी नगर निगम सीमा से सोलह किलोमीटर में स्थित है या नगर पालिका या नगर परिषद की सीमा से आठ किलोमीटर में स्थित है या ऐसे नगर जो नगरीय निकाय नहीं हैं की सीमा से तीन किलोमीटर में स्थित हैं। या फिर राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 बने राष्ट्रीय राजमार्ग या मप्र हाईवे एक्ट 1936 के तहत बने लोकमार्ग के पाश्र्व से एक किलोमीटर की दूरी के भीतर ग्राम पंचायत के क्षेत्र हो। अथवा मप्र नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 के तहत किसी निवेश क्षेत्र के भीतर ग्राम पंचायत क्षेत्र हो। 
नये प्रावधान के अनुसार अब ऐसी ग्राम पंचायतों में कालोनियां बनाने की अनुमति उपखण्ड मजिस्ट्रेट नहीं देगा बल्कि इस हेतु राज्य सरकार द्वारा अधिकूत एक सक्षम प्राधिकारी देगा। नया प्रावधान यह भी किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति ऐसी ग्राम पंचायतों के क्षेत्र में अवैध कालोनी बनाता है तो उसे कम से कम तीन वर्ष और अधिकतम सात वर्ष के कारावास और कम से कम दस हजार रुपये के जुर्माने से दण्डित किया जा सकेगा। पहले यह प्रावधान छह माह के कारावास एवं दस हजार रुपये के जुर्माने का था। अब अवैध कालोनी बनान संज्ञेय अपराध भी माना जायेगा।
नये संशोधित अधिनियम में सरकारी अधिकारियों के लिये भी अवैध कालोनी में लेआउट मंजूर करने या अवैध व्यपवर्तन करने या विद्युत या जल प्रदाय कनेक्शन मंजूर करता है तो उसके लिये भी कठोर दण्ड का प्रावधान किया गया है। ऐसे सरकारी अधिकारी को अब कम से कम तीन वर्ष का कारावास एवं दस हजार रुपये तक जुर्माने से दण्डित किया जा सकेगा। पहले यह प्रावधान छह माह के कारावास एवं जुर्माने का था। ऐसे मामलों में सरकारी अधिकारी तभी बच सकेगा जबकि जिला कलेक्टर यह अभिप्रमाणित करे कि लोकहित में उक्त कार्य करने जरुरी थे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें