उज्जैन 4 जनवरी 2012। प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी सुनील अहिरवार ने महर्षि पाणिनी संस्कृत विवि के पूर्व कुलपति डॉ. मोहन गुप्त और राजभवन के पूर्व अपर सचिव जेएन मालपानी के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों का संज्ञान लेते हुए दोनों को समन जारी करने के आदेश दिए हैं। आयएएस श्री मालपानी फिलहाल मंत्रालय में पदस्थ हैं।
परिवादी हर्ष जायसवाल द्वारा भादवि की धारा 420, 467, 468, 471 व 120(बी) के तहत पेश परिवाद पर न्यायालय ने गत दिवस यह आदेश दिया। मामला इस प्रकार है कि परिवादी श्री जायसवाल महर्षि पाणिनी संस्कृत विवि की कार्यपरिषद के सदस्य थे। फर्जी यात्रा व्यय बिल प्रस्तुत करने की शिकायत और उसकी जांच के बाद तत्कालीन कुलपति श्री गुप्त ने उन्हें 4 नवंबर 2010 को विवि की कार्यपरिषद से बर्खास्त कर दिया था। श्री जायसवाल ने इस आदेश को मप्र हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और कोर्ट ने आदेश को निरस्त कर दिया था।
गवाह पेश किया- इसके बाद श्री जायसवाल द्वारा न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में पेश परिवाद में श्री जायसवाल ने कहा कि आरोपियों ने मेरे नाम से फर्जी यात्रा देयक बनाकर राशि मेरे बैंक खाते में जमा करा दी थी। इस बारे में मैंने थाना माधवनगर और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से भी शिकायत की थी मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। श्री जायसवाल ने अपने कथन के समर्थन में एक गवाह रोहितसिंह हाडा को भी अदालत में पेश किया।
कूटरचित दस्तावेज - अदालत ने परिवादी और साक्षी के कथनों तथा पेश दस्तावेजों के आधार पर माना कि आरोपियों ने कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर परिवादी के साथ छल किया है। इस आधार पर आरोपीगण द्वारा प्रथम दृष्ट्या भादवि की धारा 420 का अपराध प्रकट होता है।
न्यायालय ने धारा 420 के आरोप का संज्ञान लेते हुए परिवाद पंजीबद्ध करने का आदेश दिया। न्यायालय ने आरोपियों के खिलाफ समन जारी करने का आदेश देते हुए दोनों के खिलाफ 500-500 रुपए के जमानती वारंट जारी किए। आरोपियों को 29 जनवरी को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया है।
- (डॉ. अरुण जैन)
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