शनिवार, 19 जनवरी 2013

उच्च न्यायालय में फीस कम हुई

बार एसोसियेशन को मिलेगा दस प्रतिशत ही कमीशन
भोपाल 19 जनवरी 2013। मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण द्वारा पारित मुआवजा राशि में वृध्दि हेतु राज्य के उच्च न्यायालयों में दावा करने पर न्यायालय फीस अब कम लगेगी। यह फीस अधिकतम एक लाख रुपये तक ही हो सकेगी चाहे हर्जाना राशि बढ़ाने की रकम कितनी ही क्यों न हो। हर्जाना राशि पर न्यायालय फीस पांच प्रतिशत का प्रावधान किया गया है लेकिन यह फीस एक लाख रुपये से अधिक नहीं होगी। पहले हर्जाने की किसी भी रकम पर कोर्ट फीस दस प्रतिशत लगा करती थी जिसका वकीलों ने काफी विरोध किया था। यह स्थिति बनी है राज्यपाल रामनरेश यादव द्वारा न्यायालय फीस मप्र संशोधन विधेयक,2012 को मंजूरी प्रदान किये जाने से। 
उक्त संशोधन विधेयक मप्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान 10 दिसम्बर,2012 को पारित हुआ था।  उच्च न्यायालयों में लागू 142 साल पुराने न्यायालय फीस अधिनियम,1870 में ताजा संशोधन के बाद अब कोर्ट फीस की राशि का युक्तियुक्तकरण हो गया है। दरअसल यह कोर्ट फीस मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण द्वारा पारित आदेश की मुआवजा राशि को बढ़ाने के लिये उच्च न्यायालयों में की गई अपील के लिये ली जाती है। ऐसे मामलों में तो अब कोर्ट फीस पांच प्रतिशत लगेगी लेकिन अधिकतम कोर्ट फीस एक लाख रुपये से ही होगी, इससे अधिक नहीं। उच्च न्यायालयों में मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के निर्णयों के अलावा अन्य मामलों में दावा करने पर कोर्ट फीस पूर्ववत तीस रुपये ही लगेगी।
बार कौंसिल को दस प्रतिशत ही कमीशन मिलेगा :
इधर राज्यपाल ने विधानसभा द्वारा 10 दिसम्बर,2012 को पारित मप्र अधिवक्ता कल्याण संशोधन विधेयक,2012 को भी स्वीकृति प्रदान कर दी है। दरअसल तीस साल पहले अधिवक्ताओं के कल्याण हेतु मप्र अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम,1982 बनाया गया था। इस अधिनियम के तहत उच्च न्यायालयों में प्रस्तुत होने वाले वकील के मेमो पर बीस रुपये का तथा उच्च न्यायालय के अधीनस्थ न्यायालयों एवं अन्य प्राधिकरणों/अधिकरणों में प्रस्तुत होने पर वकीलों के मेमो पर दस रुपये के स्टाम्प जिन पर ''''मप्र अधिवक्ता कल्याण निधि स्टाम्प'' उल्लेखित होता था लगता था। लेकिन मुद्रास्फीति यानी मंहगाई बढऩे के कारण इस स्टाम्प की राशि बढ़ाये जाने की जरुरत महसूस हुई जिसके कारण तीस साल पुराने कानून में संशोधन किया गया है। अब उच्च न्यायालयों में पचास रुपये के तथा अधीनस्थ न्यायालयों एवं प्राधिकरणों/अधिकरणों में बीस रुपये ''''मप्र अधिवक्ता कल्याण निधि स्टाम्प'' लगेंगे। 
उक्त स्टाम्प राज्य सरकार द्वारा दिये गये प्राधिकार से एमपी बार एसोसियेशन छपवाती है तथा उनका जिलों के बार एसोसियेशनों को विक्रय किया जाता था जिस पर एमपी बार एसोसियेशन  कमीशन भी लेती थी। लेकिन यह कमीशन कितना हो इसका मूल अधिनियम में उल्लेख नहीं था। लेकिन अब संशोधन के जरिये यह कमीशन दस प्रतिशत निर्धारित कर दिया गया है। एमपी बार एसोसियेशन के अध्यक्ष शिवेन्द्र उपाध्याय के अनुसार, एसोसियेशन पहले भी दस प्रतिशत ही कमीशन लेती थी लेकिन अधिनियम में इसका उल्लेख न होने के कारण राज्य सरकार से इसका प्रावधान कराया गया है। उन्होंने बताया कि जिला बार एसोसिायेशन भी इन स्टाम्पों का पांच प्रतिशत कमीशन के आधार पर स्टाम्प वेंडरों को विक्रय करती है। हांलाकि इस पांच प्रतिशत कमीशन राशि लेने का अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम में उल्लेख नहीं है।

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