गुरुवार, 3 जनवरी 2013

बरगी प्रोजेक्ट में सवा अरब रुपये की अनियमितता


बरगी प्रोजेक्ट में सवा अरब रुपये की अनियमितता
बरगी डेम में पानी की कमी से सिंचाई प्रभावित हुई
कैग की ताजा रिपोर्ट में हुई राज्य सरकार की खिंचाई
Bhopal, 02 Jan 2013, संस्कारधानी जबलपुर के महात्वाकांक्षी बरगी प्रोजेक्ट में सवा बरब रुपये की अनियमितता प्रकाश में आई है। जबलपुर के बरगी डेम में पानी की कमी से अपेक्षित सिंचाई प्रभावित हुई है। इसके लिये राज्य सरकार के  नर्मदा घाटी विकास विभाग की नियन्त्रक महालेखा-परीक्षक यानी कैग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में खिंचाई की है।
कैग की रिपोर्ट में में कहा गया कि एनवीडीए को योजनाबध्द परियोजना के कार्यान्वयन में किन्हीं उल्लेखनीय वित्तीय बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ा है। कार्यों की धीमी प्रगति के कारण नहर निर्माण कार्य लक्षित तिथि के भीतर पूर्ण नहीं हुये। खराब आयोजना के कारण कार्यों के कार्यान्वयन में कमियों, तकनीकी विशिष्टियों का अनुपालन न होना, टर्न की ठेकों में अवांछित मदों के कार्यान्वयन, गारंटियों के समयपूर्व विमुक्त करने एवं अक्षम ठेका प्रबंधन इत्यादि के उदाहरण दिखाई दिये जिससे 1 अरब 33 करोड़ 81 लाख रुपये तक के अधिक तथा अनियमित भुगतान एवं ठेकेदारों को अनुचित वित्तीय सहायता भी हुई।
रिपोर्ट में बताया गया है कि बरगी बांध नर्मदा नदी पर प्रथम बांध है। इसके वर्ष 1970 में बनी डीपीआर पूर्ववर्ती 21 वर्षों यानी वर्ष 1949-1970 की अवधि के अन्तर्वाह आंकड़ों पर आधारित थी। वर्ष 1970 से 1988 की मध्यवर्ती अवधि के दौरान वनोन्मूलन के कारण जलग्रहण क्षेत्र में कमी एवं वर्षा अभिरचना में बदलाव से बरगी बांध में उपयोगी पानी उल्लेखनीय रुप से कम हुआ था।  सीडब्ल्युसी ने अगस्त,2011 में प्रतिवेदित किया है कि कि वर्ष 2009-10 को छोड़कर विगत दस वर्षों में सामान्य वर्षा के दौरान उपलब्ध उपयोगी पानी 1.548 एमएएफ था जो कुल उपयोगी संग्रहण का साठ प्रतिशत ही था जबकि आवश्यक्ता 2.7074 एमएएफ निर्धारित की गई थी। इस पर पूछे जाने पर एनवीडीए ने जवाब दिया कि बारगी बांध के परिपूरक राघोपुर, सेसरा एवं बसनिया परियोजना की प्रगतिशील अवस्था में हैं जो बरगी बांध में पानी के अंतर्वाह की वृध्दि करेंगे। लेकिन कैग ने इस जवाब को स्वीकार नहीं किया तथा कहा कि बरगी डायवर्सन प्रोजेक्ट के माध्यम से 2 लाख 45 हजार हेक्टेयर को सिंचित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये राघोपुर, सेसरा एवं बसनिया में ऊपरी बांधों का कार्यान्वयन बरगी प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन के साथ-साथ किया जाना चाहिये था।
कैग की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि बरगी डायवर्सन परियोजना जोकि जून,2014 तक पूर्ण होना नियत थी, से मुख्य नहर के साथ वितरण प्रणाली एवं क्षेत्र नहरों के कार्यों के तुल्यकालिक न होने के कारण उद्देश्य पूर्ण नहीं हुये क्योंकि 36 हजार 32 हेक्टेयर की निर्मित सिंचाई क्षमता में से मात्र 710 हेक्टेयर का ही उपयोग हुआ। मार्च 2011 तक, 2.45 लाख हेक्टेयर में से सोन-ओंस कछार के 1.75 लाख हेक्टेयर के वितरण नेटवर्क के लिये न तो भूमि अधिग्रहण हुआ था और न ही इसके कार्यान्वयन के लिये एजेन्सियां निर्धारित की गईं थीं। बरगी बांध में पानी की कमी से बरगी परियोजना के माध्यम से नियोजित सिंचाई की प्राप्ति में बाधा होगी जब तक कि प्रस्तावित तीन परिपूरक बांध पूर्ण नहीं हो जाते। कैग रिपोर्ट में स्लीमनाबाद केरियर केनाल यानी 12 किलोमीटर सूरंग के बारे में कहा कि इसके कार्यान्वयन में असामान्य विलम्ब डाउनस्ट्रीम में 1 लाख 88 हजार हेक्टेयर की सिंचाई उद्देश्य को प्राप्त करने में बड़ा अवरोध होगा।

  - डॉ. नवीन जोशी

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