रविवार, 6 जनवरी 2013

आईएएस जोशी दम्पत्ति को बर्खास्त करने से केन्द्र का इंकार

अब शिवराज सरकार लोकायुक्त रिपोर्ट पर अभियोजन की स्वीकृति मांगेगी
Bhopal, 04 Jan 2013, विगत 5 फरवरी,2010 से आयकर छापे में मिले तीन करोड़ रुपये नकद एवं अन्य बेहिसाबी अचल संपत्ति के मामले में निलम्बित चल रहे आईएएस दम्पत्ति अरविन्द जोशी एवं टीनू जोशी को सेवा से बर्खास्त करने के शिवराज सरकार की सिफारिश को केन्द्र सरकार ने अमान्य कर दिया है तथा कई बिन्दुओं पर अतिरिक्त जानकारी मांगी है। इधर अब शिवराज सरकार लोकायुक्त संगठन द्वारा जोशी दम्पत्ति के खिलाफ दर्ज प्रकरण में एवं उसमें मांगी गई अभियोजन की स्वीकृति को मंजूर कर इसे केन्द्र सरकार को भेजने जा रही है।
आयकर छापे में बेहिसाबी सम्पत्ति मिलने पर जोशी दम्पत्ति निलम्बित किये गये थे तथा राज्य सरकार ने सेवानिवृत्त मुख्य सचिव निर्मला बुच की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी गठित की थी। इस कमेटी ने जांच में जोशी दम्पत्ति को दोषी पाया था और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दोनों को सेवा से बर्खास्त करने की सिफारिश गये साल केन्द्र सरकार को भेजी थी। लेकिन अब केन्द्र का राज्य सरकार के पास जवाब आ गया है कि वह दोनों को बर्खास्त नहीं करेगी तथा उसने कुछ अतिरिक्त बिन्दुओं पर जानकारी राज्य सरकार से मांगी है। दरअसल जोशी दम्पत्ति ने उनके आवास से आयकर विभाग को मिले तीन करोड़ रुपयों के बारे में निर्मला बुच कमेटी को जवाब दिया था कि एक जमीन के सौदे से उन्हें यह रकम मिली थी लेकिन बुच कमेटी ने इस तथ्य को स्वीकार नहीं किया था।
इधर लोकायुक्त संगठन ने भी जोशी दम्पत्ति के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर जांच की तथा उन्हें बेहिसाबी सम्पत्ति रखने का दोषी पाकर उनके खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति राज्य सरकार से मांगी। राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग और विधि विभाग ने अपने अभिमत में अभियोजन की स्वीकृति दे दी है तथा मुख्यमंत्री ने भी अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। अब केन्द्र से अभियोजन की स्वीकृति प्राप्ञत करने के लिये फाईल मुख्यमंत्री सचिवालय में पड़ी हुई है तथा जल्द ही यह प्रस्ताव केन्द्र को भेज दिया जायेगा।
मुख्य सचिव का कार्यकाल की कोई कार्यवाही नहीं :
इधर राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग के कार्मिक शाखा के सचिव अश्विन कुमार राय ने स्पष्ट किया है कि  मप्र के मुख्य सचिव आर परशुराम का छह माह कार्यकाल बढ़ाने संबंधी को कोई प्रस्ताव केन्द्र को नहीं भेजा गया है और न ही इस सम्बन्ध में कोई कार्यवाही कार्मिक शाखा में प्रचलित है। उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय डेथ कम रिटायरमेंट नियम 1958 के नियम 16 (3) में सेवानिवृत्ति के बाद कार्यकाल बढ़ाने का प्रावधान न होकर अनिवार्य सेवानिवृत्ति का प्रावधान है।


 - डॉ. नवीन जोशी 

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