सोमवार, 7 जनवरी 2013

‘‘अरक्ता’’, ‘‘भगवा’’ और ‘‘गणेश’’ अब मध्यप्रदेश में भी

अनार के लिए महाराष्ट्र पर निर्भरता होगी कम
भोपाल 7 जनवरी 2013। खून बढ़ाने के साथ ही सेहत के लिए बेशुमार खूबियों वाले फल अनार की व्यावसायिक खेती अब मध्यप्रदेश में भी शुरू हो गयी है। फिलहाल अनार के लिए मध्यप्रदेश महाराष्ट्र राज्य पर निर्भर करता है। अनार की उत्पत्ति का मूल स्थान ईरान माना जाता है। भारत में अनार की सबसे ज्यादा व्यावसायिक खेती महाराष्ट्र में होती है। गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तरप्रदेश, पंजाब और हरियाणा में भी अनार की व्यावसायिक खेती की जाती है।
मध्यप्रदेश में अनार की खेती के लिए जलवायु की उपयुक्तता को देखते हुए यहाँ 10 हजार हेक्टेयर में अनार की खेती का लक्ष्य रखा गया है। पाँच साल तक हर साल 2,000 हेक्टेयर अनार की खेती के अंतर्गत लाया जाएगा। अभी तक खरगोन, शाजापुर, खंडवा, धार, देवास, रतलाम, उज्जैन और विदिशा में 1500 से अधिक हेक्टेयर में अनार की खेती शुरू कर दी गई है।
 मध्यप्रदेश के लिए अनार की ‘‘अरक्ता’’, ‘‘भगवा’’ और ‘‘गणेश’’ किस्मों को ज्यादा उपयुक्त पाया गया है। इन किस्मों का रंग चटक होता है, फल का आकार बड़ा होता है और इनमें रस ज्यादा होता है। एक्सपोर्ट क्वालिटी की इन किस्मों का उत्पादन भी बेहतर होता है।
मध्यप्रदेश में अनार की व्यावसायिक खेती को बढ़ावा देने के लिए पिछले साल एक बड़ी कार्यशाला की गई थी। कार्यशाला में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा नई दिल्ली, भारतीय उद्यानिकी शोध संस्थान, हिसारगट्टा बैंगलुरू, शोलापुर कृषि संस्थान, महाराष्ट्र अनाज उत्पादक संघ के अलावा मध्यप्रदेश के जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर तथा राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के कृषि वैज्ञानिकों ने इसमें भाग लिया था।
उल्लेखनीय है कि अनार का उत्पादन ऐसी जलवायु में बेहतर होता है, जहाँ सूखी-गर्म और सर्द हवाओं के साथ-साथ पानी की उपलब्धता हो। मध्यप्रदेश के अनेक जिलों में ऐसी स्थिति है, जहाँ अनार की व्यावसायिक खेती के रूप में किसानों को नया विकल्प दिया जा सकता है।
प्रदेश में अनार उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक हितग्राही को न्यूनतम 0.5 हेक्टेयर तथा अधिकतम 5 हेक्टेयर के रोपण पर अनुदान दिया जाता है। अनुदान सीधे हितग्राही के बैंक खाते में जमा करवाया जाता है।

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