गुरुवार, 10 जनवरी 2013

राजकीय सम्मान के साथ पैतृक गांव सीधी में हुआ शहीद सुधाकर का अंतिम संस्कार


भोपाल 10 जनवरी 2013।  शहीद लांस नायक सुधाकर सिंह का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव मध्य प्रदेश के सीधी के दढ़िया में कर दिया गया.
सुधाकर सिंह जम्मू-कश्मी के पुंछ में पाक सैनिकों से लड़ते वक्त शहीद हो गए थे.
पूरे राजकीय सम्मान से किए गए इस वीर सैनिक को उनके बड़े भाई ने मुखाग्नि दी. गांव में उस वक्त हज़ारों की तादाद में इस बहादुर सपूत को श्रद्धांजलि देने के लिए मौजूद थे.
लांस नायक सुधाकर सिंह का शव विशेष विमान से बुधवार 9 जनवरी की रात जबलपुर लाया गया. यहां से उसे पूरे सैनिक सम्मान के साथ ताबुत को सुधाकर सिंह के पैतृक गांव के लिए रवाना किया गया. 
देश के इस सपूत को श्रद्धांजलि देने के लिए मध्य प्रदेश के मुक्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रभारी मंत्री नागेंद्र सिंह, मंत्री जगन्नाथ सिंह, सांसद गोविंद मिश्रा, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह पहुंचे.  
गांव में जवान के शहीद होने की सूचना के बाद से पूरे गांव में शोक का माहौल बन गया. 
शहीद जवान के परिवार में पिता सच्चिदानंद सिंह, पत्नी श्रीमती दुर्गा सिंह हैं और उनका मात्र चार माह का पुत्र है. जवान के दादाजी और ससुर भी सेना में रह चुके हैं. सुधाकर सिंह दस वर्ष पहले 7 अप्रैल, 2002 को सेना में शामिल हुए थे. सुधाकर सिंह की शादी चार साल पहले ही हुई थी.
सच्चिदानंद गांव में खेती करते हैं. उन्होंने कहा कि ‘देश की सुरक्षा के लिये बेटे ने कुर्बानी दी है. मुझे अपने बेटे पर गर्व है.’
गांव में आर्थिक तंगी के कारण शहीद सुधाकर फौज में गए थे. शहीद लांसनायक सुधाकर सिंह ने अपने घर जो आखिरी चिट्ठी लिखी थी, इसमें उन्हें घर की याद आ रही थी. वह जल्दी ही घर लौटने वाले थे, लेकिन ड्यूटी के कारण रुक गए. अब वह कभी नहीं आएंगे. 
शहीद सुधाकर का चार महीने का बेटा जब बड़ा होगा तो अपने उस पिता की बहादुरी के किस्से सुनेगा, जिसे वह ठीक से पहचान भी नहीं पाया.

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