सोमवार, 28 जनवरी 2013

बलात्कार के आरोपी को 14 साल कठोर कारावास की सजा

 
खंडवा, 28 जनवरी 2013। पंडित जवाहरलाल नेहरु की जयंती पर बने लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत देश का पहला मामला मध्यप्रदेश के खंडवा में दर्ज हुआ था। इस मामले में डेढ़ वर्षीय बालिका के साथ युवक ने बलात्कार किया था। फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए लगातार छह दिनों तक सुनर्वाई की और बलात्कार के आरोपी को 14 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण कानून के तहत इसे देश का पहला मामला कहा जा सकता है जिसमे आरोपी को 14 साल की सजा सुनाई गई है। 28 जनवरी को मध्यप्रदेश के खंडवा जिला न्यायालय पर सभी की नजरे लगी हुई थी। यंहा पर एक ऐसा फैसला आने वाला था जिसमे सभी को इन्तजार था कि आरोपी को सम्त से सम्त सजा हो। यंहा पर पिछले पांच दिनों से लगातार सुनवाई चल रही थी जिसमें एक ऐसे आरोपी पर फैसला आने वाला था जिसने एक डेढ़ वर्षीया मासूम के साथ बलात्कार किया था। 
विगत 23 नवम्बर 2012 को खंडवा जिले के नर्मदा नगर पुलिस थाने में आरोपी जीतू उफऱ् जीतेन्द्र पर बलात्कार का केस दर्ज किया गया था। जितेन्द्र ने अपने घर के सामने खेल रही एक डेढ साल की मासूम के साथ बलात्कार किया था। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दण्ड विधान की धारा 376ए 377 363 और लैंगिंग अपराधों से बालक संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 6 के अंतर्गत प्रकरण दर्ज किया गया। इस मामले में आरोपों की पुष्टि के लिए न्यायालय ने आरोपी का ब्लड सेंपल का डीएनए टेस्ट कराया। डीएनए टेस्ट पॉजिटिव आने पर स्थानीय जिला न्यायालय में फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले की सतत सुनवाई की गई। जिला न्यायाधीश जगदीश बाहेती की कोर्ट में लगातार छह दिनों तक हुई सुनवाई में आरोपी के खिलाफ बारह गवाहों ने बयान दिए। कोर्ट ने मामले में 18 जनवरी से छह कार्य दिवस में एतिहासिक फैसला सुनाया और आरोपी को बाल संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत 14 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई। न्यायालय ने अपने फैसले में लिखा है कि एक अबोध बालिका के साथ इस तरह का कार्य अमानवीय है। न्यायालय ने आरोपी को धारा 376 और 363 के आरोपों से साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया लेकिन नए कानून के तहत बालिका को न्याय मिला तथा आरोपी को चौदह साल के लिए सलाखों के पीछे भेज दिया। देश का यह पहला मामला है जब इस कानून से अबोध बालिका को न्याय मिला है। जिला न्यायाल में हुए इस फैसले के बाद समाज में यह संदेश जाने की उम्मीद बंधी है कि इस तरह के घटनाक्रम पर अब कानून सम्त हो गया है और ऐसे आरोपियों को अपनी जिंदगी सलाखों के पीछे गुजारना पड सकती है।

 - हिन्दुस्थान समाचार

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें