सोमवार, 10 दिसंबर 2012

एमओयू की तारीख निकलने में मंत्री दोषी, मिले सजा

Madhya Pradesh Vidhan Shabhaभोपाल 10 दिसंबर 2012। सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने विधानसभा में कहा कि 1814 करोड़ के वैद्यनाथन पैकेज की केंद्र से 667 करोड़ रुपए की बाकी किस्त लाने एमओयू की बाकी शर्तों के पालन का प्रयास करेंगे।
किस्त लाने के लिए मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री ने केंद्र सरकार और नाबार्ड को पत्र लिखे हैं। कांग्रेस विधायक डा. गोविंद सिंह ने कहा कि शर्तों का पालन नहीं किया इसलिए किस्त नहीं मिली। एमओयू की तारीख निकल गई। मंत्री को इसकी सजा मिलना चाहिए।
यह मामला डा. सिंह और कांग्रेस के ही यादवेंद्र सिंह ने ध्यानाकर्षण सूचना के जरिए उठाया था। यादवेंद्र सिंह सदन में मौजूद नहीं थे। सूचना और पूरक प्रश्नों के उत्तर में सहकारिता मंत्री बिसेन ने कहा कि एमओयू की 12 शर्तें थीं। इनमें कॉडर समाप्ति की शर्त भी थी। पंजीयक ने इसका आदेश भी जारी हो गया। कॉडर वाले कोर्ट में चले गए।
डा. सिंह ने कहा कि कोर्ट से स्टे नहीं मिला। आपने कानून में वैद्यनाथन समिति के हिसाब से संशोधन तो कर लिया लेकिन पालन नहीं किया। इस वजह से किस्त लैप्स हो गई। नाबार्ड ने छह साल में आपको 27 पत्र लिखे। शर्तों का पालन नहीं किए जाने से किसानों को पैकेज का फायदा नहीं मिल पाया। शर्तों का पालन नहीं करने वाले अधिकारी, कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाए।
श्री बिसेन ने बताया कि सहकारी अधिकारियों का काडर बनाने का प्रयास किया परन्तु अधिकारी कोर्ट में चले गये। 

बिजली के मुद्दा : बात चली, तो शगुन-अपशगुन तक जा पहुंची
भोपाल 10 दिसंबर 2012। विधानसभा में सोमवार को विपक्ष ने बिजली के मुद्दे पर सरकार को घेरा। ब्यावरा के कांग्रेस विधायक पुरुषोत्तम दांगी के एक प्रश्न पर शुरू हुई चर्चा प्रदेश में बिजली की उपलब्धता तक पहुंच गई। पूर्व ऊर्जा मंत्री एनपी प्रजापति ने दावा किया कि यह सरकार 2013 में 24 घंटे बिजली का वादा पूरा नहीं कर पाएगी। इसके जवाब में संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा बोले कि आप अपशकुन की बातें क्यों करते हो?
चर्चा के दौरान पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने सुझाव दिया कि नियम 139 के तहत विधानसभा में इस बात पर चर्चा करा ली जाए कि कांग्रेस शासनकाल में कितने घंटे बिजली मिलती थी और अब कितनी मिल रही है?
पक्ष और विपक्ष के बीच बिजली पर नोक-झोंक की शुरूआत कांग्रेस विधायक केपी सिंह के प्रश्न से हुई। सिंह ने आरोप लगाया था कि बिजली कंपनी के कर्मचारी रिश्वत लेकर उन गांवों में ट्रांसफार्मर लगा दे रहे हैं, जहां 25 फीसदी से अधिक लोग डिफाल्टर हैं, जबकि बिजली का पैसा जमा करने वाले गांवों के लोग अंधेरे में हैं।
उनका यह भी आरोप था कि उनके विधानसभा क्षेत्र के 60-70 गांव ऐसे हैं, जहां तार आदि चोरी के कारण बिजली नहीं हैं। ऊर्जा राज्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने उन्हें जांच कराने और पात्र गांवों में एक हफ्ते में ट्रांसफार्मर लगाने का आश्वासन दिया। मंत्री ने यह भी बताया कि जिन गांवों में तार आदि चोरी चले गए हैं, वहां प्राथमिकता के आधार पर उन्हें लगवाया जा रहा है।
अब आसानी से दर्ज होगी रिपोर्ट : 
रामनिवास रावत और डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि बिजली उपकरण चोरी होने पर पुलिस रिपोर्ट नहीं लिखती और बिजली कंपनी बिना एफआईआर के उपकरण नहीं बदलती। इस पर शुक्ल ने बताया कि उनकी गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता से इस संबंध में चर्चा हुई है और अब यह समस्या नहीं आएगी। गुप्ता ने भी इस बात की पुष्टि की कि इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं। इस बीच सुलोचना रावत ने आरोप लगाया कि जिन गांवों में भाजपा समर्थित लोग रहते हैं, वहां ट्रांसफार्मर लग जाते हैं, जबकि कांग्रेस समर्थित गांव में नहीं लगाए जाते।
कार्रवाई करने लगेंगे तो काम करना मुश्किल हो जाएगा : 
इसके बाद किसान अनुदान योजना से संबंधित प्रश्न पर चर्चा के दौरान पुरुषोत्तम दांगी ने आरोप लगाया कि अधिकारी भी ठेकेदार के आगे नत मस्तक हैं। ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर मंत्री शुक्ल ने जवाब दिया कि ऐसे कार्रवाई करने लगेंगे तो काम करना मुश्किल हो जाएगा। एनपी प्रजापति ने इस पर आपत्ति ली तो मंत्री ने बताया कि योजना का काम ठेकेदार द्वारा नहीं बल्कि कंपनी के कर्मचारियों द्वारा कराया जा रहा है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें