गुरुवार, 6 दिसंबर 2012

ध्रुव के दबाव में पांच पटवारियों को सरकार ने हटाया


भोपाल 6 दिसंबर 2012। प्रदेश सरकार में पटवारी कितने ताकतवर हैं, इसका नजारा आज सदन में भी देखने को मिला। जब सारी जांच रिपोर्ट में दोषी पाए जाने के बाद भी पटवारी बारह साल से एक ही जगह पर जमे हुए हैं। सवा साल पहले विभाग के पत्र के बाद भी कोई कार्रवाई उन पर नहीं हो रही। सदन में सत्तापक्ष के सदस्य की मांग पर भी जिम्मेदार मंत्री सीधी कार्रवाई से बचते रहे। विधानसभा अध्यक्ष के हस्तक्षेप और निर्देश के बाद ही पटवारियों के तबादले व कार्रवाई की घोषणा हो सकी। पटवारियों से जुड़ा पहला प्रश्न सत्तापक्ष के सदस्य धु्रवनारायण सिंह ने उठाया। हालांकि यह सतना से जुड़ा यह प्रश्न भाजपा के शंकरलाल तिवारी ने लगाया था। श्री ध्रुव ने पांच पटवारियों की संपत्ति की जांच और तबादले की मांग की। जवाब में सरकार ने भी माना कि इन सभी को एक ही स्थान पर तीन से अधिक हो गए हैं। एक तो बारह साल से जमे हैं। इनकी मनमानी के प्रमाण भी श्री धु्रव ने दिए। राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने जवाब में कहाकि पटवारी तो जिला कैडर है। प्रभारी मंत्री कह दें तो कलेक्टर ही हटा देंगे। इस पर श्री धु्रव ने कहाकि इतना आसान होता तो कब का हो जाता। मंत्री का जवाब सुनकर अध्यक्ष श्री रोहाणी को हस्तक्षेप करना पड़ा। तब जाकर राजस्व मंत्री श्री वर्मा ने पांचों को हटाने की घोषणा की।
मगर डॉ. गोविंद सिंह द्वारा पूछे गए उज्जैन से जुड़े प्रश्न में राजस्व मंत्री ने पटवारियों पर कार्रवाई में न्यायिक प्रक्रिया को ढाल बना लिया। अध्यक्ष द्वारा बार-बार कहने पर भी वे पटवारियों पर सीधी कार्रवाई के लिए तैयार नहीं हुए। महेंद्र सिंह कालूखेड़ा के इस प्रश्न में श्री सिंह ने आरोप लगाया कि पटवारियों ने रंगजी महाराज ट्रस्ट की निजी भूमि पर सांसद और विधायक निधि से भवन बनवा दिया। राजस्व मंत्री श्री वर्मा ने यह तो माना कि गड़बड़ी हुई है। निजी भूमि पर विधायक निधि का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। साथ ही उनका कहना था कि कार्रवाई के लिए विभाग ने सितंबर 11 में लिखा गया है। साथ ही अगले छह माह में कार्रवाई कर दी जाएगी। श्री वर्मा पटवारियों पर कार्रवाई के लिए न्यायिक प्रक्रिया की आड़ लेते रहे। इस पर अध्यक्ष ने लगभग फटकार लगाते हुए कहाकि तीन माह में कार्रवाई करें।

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