सोमवार, 31 दिसंबर 2012

भारतीय संस्कृति सभ्यता में महिलाओं की पृष्ठ भूमि एवं पुरूषों के दायित्व: जनसंवेदना

    
भोपाल 30 दिसंबर 2012। सामाजिक सरोकार के निमित्त जनसंवेदना द्वारा देश में हुई कलंककित घटना को लेकर अश्रुपूरित श्रध्दांजलि। भारतीय संस्कृति सभ्यता में महिलाओं की पृष्ठ भूमि एवं पुरूषों के दायित्व र्निवहन हेतु जाग्रति विचार मंथन कर निर्णय लिया गया हैं कि भोपाल महानगर में सभी क्षेत्रों में बुिध्दजीवियों को जोडकर भारतीय संस्कृति सभ्यता पर रचनात्मक एवं क्रियात्मक पहल की जायेगी। जनसंवेदना के द्वारकेश बिदुआ, मनमोहन कुरापा, राधेश्याम अग्रवाल, सीमा कुशवाहा ने आज पत्रकारवार्ता में बताया कि भारतीय संस्कृति सभ्यता में महिलाओं की पृष्ठ भूमि आदि अन्नतकाल से वेदान्तों में नारी को आदिशक्ति हैं। वही पुरूषों में उनका सम्मान एवं रक्षा का दायित्व का र्निवहन करना चाहिए। इन हालात में समाज में सामाजिक चेतना की आवष्यकता हैं। मोहल्ले, घर ,पडोस चैराहों में महिलाए सुरक्षित रहें इसके प्रयास में वरिष्ठजन इस ओर निगाह रखकर भारतीय संस्कृति की जिम्मेदारी ग्रहण करेगें। पाष्चात्य सभ्यता की दूषितगण वेष धारण कर करने का विरोध अभी वर्तमान में खाप, पंचायत एवं सभी संभागों ने अपने अपने स्तर पद महिलाओं एवं बच्चियों को ऐसे वस्त्रों पहनने का विरोध, दर्षाया एवं बताया जा रहा हैं। इसका स्वयं महिलाओं को अपनी संस्कृति सभ्यता का अनुरूप बच्चियों में मानसिक बीजारोपण करने का दायित्व परिवार की उनकी माताओं को निवृहन करना चाहिए।
      द्वारकेश बिदुआ ने बताया बढती भौतिकतावाद मे भोपाल नहीं पूरे देश के महानगरों में कोचिंग की जो व्यवस्था प्रारम्भ हुई हैं वह देर रात्रि तक संचालित किया जाना गलत हैं, यह संस्थान सांय 6 बजे तक संचालित होना चाहिए । कौचिंग संस्था जहाँ खोले गए है मोहल्ले एवं कालोनियों में नगर निगम से अनुमति लेकर खोला जाना चाहिए। कौचिंग की आड में पूरे सामाजिक रिष्ते तहस नहस हो रहे हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें