सोमवार, 17 दिसंबर 2012

मध्यप्रदेश में सरकार बनाने पर सजा मिली: उमा भारती


भोपाल 17 दिसंबर 2012। भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने कहा है कि मध्यप्रदेश में 2003 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की सरकार बनाने पर उन्हें मजा तो नहीं सजा जरूर मिली है।
तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर चुनाव प्रचार के दौरान 15 हजार करोड़ रूपये का भ्रष्टाचार करने संबंधी आरोपों के लिए उनके द्वारा दायर मानहानि प्रकरण का सामना कर रही उमा ने सोमवार को भोपाल में अदालत के बाहर संवाददाताओं से अनौपचारिक चर्चा में कहा, ‘‘2003 में सरकार बनाने के लिए उन्हें कोई मजा नहीं मिला, हां सजा जरूर मिली’’।
सवालों के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने कार्यकाल में कोई भ्रष्टाचार नहीं किया और किसी को करने भी नहीं दिया’’।
उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह उनके बड़े भाई हैं, फिर उन्होंने उन पर मानहानि का प्रकरण अदालत में क्यों दायर किया, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है।
उमा ने कहा कि देश में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा है, जिससे निपटने के लिए सबको एकजुट होना पड़ेगा और आम जनता को इसके खिलाफ जागरूक करना होगा।
मानहानि प्रकरण में पुनरीक्षण के लिए उच्च न्यायालय जाना चाहती हैं उमा मध्यप्रदेश विधानसभा के 2003 के चुनाव प्रचार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर 15 हजार करोड़ रूपये के भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के कारण मानहानि के मुकदमे का समाना कर रही भाजपा नेता उमा भारती सोमवार को भोपाल जिला अदालत में पेश हुयी।
उन्होंने अदालत से कुछ देने का आग्रह करते हुए कहा कि सिंह के दर्ज हुए बयान को लेकर वह उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दायर करना चाहती हैं।
मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी (सीजेएम) आरपी सोनकर की अदालत में सुनवाई के दौरान उपस्थित हुई उमा भारती ने अपने वकील के जरिए यह आवेदन लगाया कि सिंह द्वारा पिछली पेशी के दौरान दर्ज कराए गए बयानों पर उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दायर करना चाहती हैं।
अदालत ने उन्हें इसके लिए समय दे दिया।
उमा भारती और दिग्विजय सिंह दोनों को ही सोमवार की सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया गया था। उमा उपस्थित हुई, लेकिन सिंह के वकील ने हाजिरी माफी का आवेदन पेश किया। इसमें कहा गया था, चूंकि प्रतिवादी द्वारा प्रतिपरीक्षण नहीं किया जाना है, इसलिए वह उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं।
दूसरी ओर, उमा ने वकील के जरिए अदालत में स्थाई हाजिरी माफी का आवेदन दंप्रसं की धारा 205 के तहत पेश किया गया, जिस पर चार फरवरी को बहस होगी।


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