शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

आदिवासियों पर केन्द्रित नये राष्ट्रीय पार्टी का गठन शीघ्रः विश्व आदिवासी दिवस पर विशेष रिपोर्टरायपूरः अगस्त


विश्व आदिवासी दिवस के उपलक्ष में सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले कल राजधानी के कालीबाड़ी रविन्द्र ऑडिटोरियम पर आयोजित कार्यक्रम के अवसर पर प्रदेश के दिग्गज आदिवासी नेताओं व नौकरशाहों ने केन्द्र तथा राज्य सरकार के आदिवासी विरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद की।

      इस अवसर पर भाजपा सांसद श्री नंद कुमार साय ने आदिवासी क्षेत्रों में लचर प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था पर नाराजगी जतायी। उन्होंने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकारें इस ओर ध्यान नहीं दी रही है। जब तक आदिवासी समाज को अच्छी प्राथमिक शिक्षा मुहैया नहीं करायी जाती, समाज का विकास नहीं हो सकता। आदिवासियों के लिए तीर-कमान की बात तो होती है पर अब मिसाइल का जमाना है, उसे भी जानने की जरूरत है। कांग्रेस के पूर्व सांसद श्री अरविंद नेताम ने आदिवासियों को उनकी जमीन से खदेड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने आदिवासी विस्थापन को आदिवासियों की सबसे बड़ी समस्या निरूपित किया। आदिवासियों की जमीनें तो ली जा रही है पर उनके विस्थापन की कोई नीति नहीं है।

      अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण मंत्री श्री केदार कश्यप ने अपने उद्बोधन में अनुसूचित जाति-जन-जाति वर्ग के लिए सरकार की योजनाओं का उल्लेख किया और समाज की समस्याएं कैसे दूर हों इसके लिए रणनीति बनाकर काम करने पर जोर दिया।

       कार्यक्रम के संयोजक भूतपूर्व आई.ए.एस. श्री बीपीएस नेताम ने आमंत्रण के बावजुद समाज के लोगों के द्वारा सरकार के नजर में आने के भय से कार्यक्रम में शामिल होने से कतराने पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने आगे कहा कि केन्द्र व राज्य सरकारें अंबेडकर, घासीदास जयंती की तरह आदिवासी समाज के इन आयोजनों में हिस्सेदारी के लिए समाज के लोगों को विशेष छूट दें तथा आयोजन के लिए सरकारी अनुदान की माँग की। मुख्य जन-सूचना आयुक्त श्री सरजियस मिंज ने सवाल किया कि राज्य विधान सभा में 29 आदिवासी विधायकों के बावजूद आदिवासी विरोधी नीति कैसे बन जाती है? क्या इन विधायकों के समर्थन के बगैर यह संभव है? उन्होंने आदिवासियों को शिक्षित करने तथा संगठित करने पर बल देते हुए लक्ष्य के लिए संघर्ष करने का सुझाव दिया।

        कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भूतपूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्री पी.ए.संगमा ने राष्ट्रपति चुनाव में छत्तीसगढ़ से मिले समर्थन पर आभार व्यक्त किया। उन्होंने राष्टपति चुनाव में आदिवासी एकता की ताकत देखने पर खुशी जाहिर की। सम्मेलन में उन्होंने इशारों-इशारों में ही आदिवासी हित पर केन्द्रित नई राष्ट्रीय पार्टी गठित करने की बात कही। बाद में पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पिछला राष्ट्रपित चुनाव आदिवासियों के लिए अपने आकांक्षाओं व आशाओं को व्यक्त करने का अवसर था। इस चुनाव ने आदिवासियों के बीच राजनीतिक जागरूकता पैदा कर दी; यह आदिवासियों के मध्य अपने अधिकारों के लिए संगठित आन्दोलन की शुरूवात है। दिल्ली में आदिवासी नेता और राष्ट्रीय दलों के प्रतिनिधि उनकी राजनीतिक पार्टी के स्वरूप को अंतिम रूप देंगे। ट्राईबल फोरम ऑफ इण्डिया के कोर कमिटि के प्रतिनिधि निर्वाचन आयोग से सलाह-मशविरा करेंगे, उसके बाद नए पार्टी का नाम तय किया जाएगा, जो आदिवासियों पर केन्द्रित होगा और सबके लिए खुला रहेगा।

    समारोह में संयुक्त राष्ट्र सभा के 107 वें पूर्ण अधिवेशन में 13 सितंबर 2007 को पारित प्रस्ताव, जिसमें जनजातीय समाज के अधिकारों का जिक्र है, उसका पालन करने प्रतिनिधियों की कमेटी बनाने, संविधान की 5 वीं और 6 वीं अनुसूची के प्रावधानों का पालन सुनिश्चित कराने का निर्णय लिया गया।

      कार्यक्रम को सांसद सोहन पोटाई, पूर्व मंत्री गंगा पोटाई, आंध्रप्रदेश के विधायक एलजी डोरा व पूर्व विधायक लिंगया दोहा, चीफ इनकम टैक्स कमिश्नर गिरधारीलाल भगत, प्रो. गोविंद्र रथ इलाहाबाद विवि, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के हीरा सिंह मरकाम, जीएस धनंजय, जीआर राणा, पीके मुनीष आदि ने भी संबोधित किया।

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