सीएनटी एक्ट 1908, भूमि अधिग्रहण एक्ट 1898 तथा मनी लैंडर्स एक्ट 1974 में संशोधन होगा
राँचीः जूलाई 01, 2012:
झारखंड सरकार ने छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट) 1908, भूमि अधिग्रहण कानून 1898, मनी लैंडर्स एक्ट 1974 समेत एक दर्जन से अधिक कानूनों में संशोधन करना चाहती है। इन अधिनियमों में परर्िवत्तन के लिये विधि विभाग की ओर पहल शुरू कर दी गयी है और विभाग की ओर से विधि आयोग से इस संबंध में मंतव्य मांगा गया है।
झारखंड राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष राजकिशोर महतो ने बताया कि पेसा कानून 1996 (पंचायत एक्सटेंशन टू द शिडूल एरिया एक्ट 1996) के तहत आदिवासी बहुल क्षेत्रों में पंचायत राज को सशक्त तरीके से लागू करने के उद्देश्य से लेकर कई कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव है। उन्होंने बताया कि इन कानूनों में संशोधन से ग्राम पंचायतों को कई अधिकार मिल जायेंगे। राजकिशोर महतो ने स्पष्ट किया कि सीएनटी समेत अन्य कानूनों में संशोधन से अनुसूचित जनजाति व अन्य वर्गों को मिलने वाले अधिकार में कोई कटौती नहीं होगी, बल्कि इसे और सख्ती से लागू किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि भूमि अधिग्रहण के पहले ग्राम सभा से अनुमति लेने का प्रावधान किया जा रहा है, ताकि ग्रामीणों की इच्छा का ख्याल रखा जा सके। उन्होंने बताया कि जिन कानूनों में संशोधन होना है,उसमें भूमि अधिग्रहण 1894, सीएनटी एक्ट 1908, भूमि सुधार से संबंधित कानून फिक्सेशन ऑफ एग्रीकल्चर एरिया 1968, मनी लैंडर्स एक्ट 1974, उत्पाद एक्ट 1915, एरिगेशन एक्ट1997, झारखंड माइन मिनरल्स रूल्स 2004, झारखंड पंचायती राज एक्ट 2001, खादी एवं ग्रामोद्य्ोग एक्ट 1956, प्रिवेंशन ऑफ इम्प्रूवमेंट ऑफ एनिमल्स एक्ट 1955, एग्रीकल्चरल्स प्रोडयूस मार्केट एक्ट 1960, केंदु पत्ता (कंट्रोल ऑफ ट्रेड) एक्ट 1973 और फरेस्ट प्रोडयूस्ड रेगुलेशन ऑफ ट्रेड एक्ट 1984 शामिल हैं।
विधि आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि पंचायती राज व्यवस्था को लागू करने और इस दौरान कई तकनीकी परर्िवत्तनों के कारण इन कानूनों में बदलाव की आवश्यकता पड़ी है। उन्होंने बताया कि ग्राम सभा को भूमि अधिग्रहण के संबंध में सहमति मिल जाने के बाद ग्रामीणों की इच्छा के अनुरूप काम हो सकेगा। उपायुक्त ग्राम सभा की सहमति से ही इस संबंध में निर्णय ले सकेंगे। इसके अलावा केंद्र सरकार की ओर से भी सीपीसी की धारा 89 में संशोधन को लेकर भी विधि आयोग से मंतव्य मांगा गया है। उन्होंने बताया कि आयोग में कर्मचारियों की कमी के बावजूद वे अगले कुछ दिनों में विन्नि कानूनों में संशोधन को लेकर अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप देंगे और सीपीसी की धारा में संशोधन के मामले में भी आयोग का पक्ष स्पष्ट कर देंगे।
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