रविवार, 13 नवंबर 2011

संघ से प्रत्यक्ष जुडे समाज: भागवतजी

संघ से प्रत्यक्ष जुडे समाज: भागवतजी
राजगढ़ (ब्यावरा) म.प्र.: 13 नवंबर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने समूचे भारतीय समाज को संघ से प्रत्यक्ष जुड़ने का सीधा आव्हान करते हुए विश्वास व्यक्त किया है कि सुंदर भारत निर्माण के लिए यह आवश्यक है।
श्री भागवत ने विशाल हिंदू समागम को संबोधित करते हुए कहा कि समाज के भीतर संघ को लेकर स्पष्टता लाने का दायित्व स्वयंसेवकों के कंधो पर है। इसलिए सबसे पहले स्वयंसेवक के भीतर वैचारिक स्पष्टता आवश्यक है। इसके बाद समाज के प्रत्येक वर्ग तक संघ को ले जाना चाहिए। उन्होने कहा कि समाज में कई कारणों से लोग संघ के बारें में भ्रांति रख़ते है। संघ को किसी पूर्वाग्रह के आधार पर नही समझा जा सकता है। इसलिए स्पष्ट है कि समाज संघ से सीधे जुडें, स्वयंसेवक बनकर राष्ट्र निर्माण में जुटें। सत्य और असत्य का प्रत्यक्ष अनुभव करें यदि पंसद आए तो राष्ट्र निर्माण में जुटें।
हज़ारों नागरिकों और स्वयंसेवकों की उपस्थिति में श्री भागवत ने कहा कि संघ लोगों को देश के लिए जीना सिखाता है। संघ न तो अद्वzसैनिक बल है ओर ना कोई party खडी करनी है। हमें तो कुछ अलग खड़ा करना हैं एक ऐसा समाज जिसमें हर व्यक्ति अपने स्वार्थ से उठकर देश का भाग्य निर्माता बने। यदि व्यक्ति खड़ा हो गया तो सब ठीक हो जाएगा। सभी को यह समझ में आ जाएगा कि यह सिर्फ हिंदू राष्ट्र है। हिंदू यानि एक जीवन पद्वति यह कोई पूजन पद्वति नहीं है। यहॉ सभी पूजा पद्वतियों और देवी देवताओं की भी ग्राहयता है। भारत में जो भी निवास करते है उनके सभी के पूर्वज एक ही थे। अब तो एक शोध में भी सिद्व हो चुका है कि भारत -ईरानी plate पर निवास करने वाले सभी नागरिकों का डी.एन.ए. 40 हज़ार वषोz से एक ही है। उन्होने कहा कि दुर्भाग्य से हम अपनी जीवन पद्वति को छोड़कर उस पिश्चमी model को अपना रहे हैं, जिसे स्वयं पिश्चम छोड़ रहा हैं प्र्रत्येक स्वयं के जीवन को सुखी करने की आपाधापी में जुटा है फिर भी सभी दुखी हैं। इसका कारण सिर्फ इतना है कि हम स्वयं ही सच से दूर है। कबीले, गावं, समिति, राजा, संतों की सत्ता हमारें यहां रही । साम्यवाद, समाजवाद भी आजमाया। अब नवपूंजीवाद आया है। उससे भी दुखी है। तमाम योजनाएं बनीं पंचवषीzय बीस सूत्रीय, गरीबी हटाओं आदि। लेकिन आज भी भीषण बेरोजगारी और गरीबी से देश जूझ रहा है। ऐसे में हमें सिर्फ भारतीय चिंतन अपनाना होगा, जो कहता है ``दुनिया संबंध है, सौदा नहीं´´।
पाकिस्तान की प्रशंसा ठीक नहीं
श्री मोहनराव भागवत ने स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान कभी भारत के साथ शत्रुता का व्यवहार बंद नही करेगा। पाकिस्तान यदि ऐसा करेगा तो वह स्वयं ही टूट जाएगा, क्योंकि उसकी एकता ही भारत विरोध के घरातल पर टिकी है। इसलिए यदि अपने लोग पकिस्तान को कोई प्रमाण पत्र देते है तो ठीक नही हैै, सरसंघचालक का संकेत भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिहं उस बयान की ओर था जिसमें उन्होने पाकिस्तान के प्रधानंमंत्री को शांति का मसीहा कहा है। श्री भागवत ने कश्मीर में सेना के हाथ से विशेष कानून छीनने की कोशिश की निंदा की। उन्होने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है तभी तो सेना को इस मामले में सीधा हस्तक्षेप करना पडा है। देश के राजनेता अपनी राजनीति के लिए देश को दांव पर न लगाएं।
चीन पर चिंता
सरसंघचालक श्री भागवत ने भारत के प्रति चीन के रवैये पर गहरी चिंता व्यक्त की । उन्होनें कहा कि संघ गुरूजी के समय से ही चीन के प्रति देश को सचेत करता रहा, लेकिन तत्कालीन सरकार चुपचाप बैठी रही। परिणामत: 1962 की पराजय हमने झेली। आज फिर वही हालत है। संघ लगातार सरकार को आगाह कर रहा है। शायद अब सरकार को कुछ समझ में आ रहा है।
सांप्रदायिक हिंसा विधेयक
श्री भागवत ने प्रस्तावित सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निवारण विधेयक पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इसका प्रारूप उन लोगों ने तैयार किया है जो सदैव से हिंदू विरोधी रूख रख़ते है। समिति में ऐसे लोग है जो सर्वोच्च न्यायालय की नज़र में ही अपात्र है। इस प्रारूप को जो भी पढ़ेगा, भले ही वह संघ विरोधी हो, वह भी समझ जाएगा कि विधेयक सिर्फ हिंदूओं की प्रताड़ना के लिए है। आज जब देश महगांई और भ्रष्टाचार से त्रस्त है तब ऐसे विधेयक का औचित्य क्या है? देश के मार्गदशzक सत्ता के खेल खेलने से बाज आएं।
इस अवसर पर हिंदू गर्जना पत्रिका के विशेषांक का विमोचन प.पू. सरसंघचालक जी द्वारा किया गया। मंच पर क्षेत्र संघचालक श्री कृष्ण माहेश्वरी, प्रांत संघचालक श्री शशिभाई सेठ एवं राजगढ़ विभाग संघचालक डॉ॰ ओमप्रकाश सोनी उपस्थित थें। कार्यक्रम के दौरान श्री सोनी ने सभी का आभार व्यक्त किया।
इससे पहले राजगढ़ विभाग के स्वंयसेवकों ने दंड संचालन, सूर्य नमस्कार एवं घोष का मन मोहक प्रदशzन किया। घोष की लय पर अनुशासित प्रदशzन को समस्त गणमान्यजनों ने मुक्तकंठ से सराहना की।
डॉ॰ ओमप्रकाश सोनी अघ्यक्ष हिंदू समागम समिति राजगढ़

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