सोमवार, 5 सितंबर 2011
मस्तिष्क - शरीर का सरकिटबोर्ड
मस्तिष्क - शरीर का सरकिटबोर्ड
मस्तिष्क की औसत चौड़ाई = 140 मि.मि./5.5 इंच, लम्बाई = 167 मि.मि./6.5 इंच, ऊंचाई = 93 मि.मि./3.6 इंच और भार 1300-1400 ग्राम होता है।
मस्तिष्क के आधे न्यूरोन्स सेरीबेलममें होते हैं जब कि आकार में वह मस्तिष्क के दसवें हिस्से के बराबर होता है।
मस्तिष्क का 85% हिस्सा सेरीब्रल कॉर्टेक्स होता है।
ब्रह्माण्ड में 100 बिलियन सितारे होतेहैं और इतने ही मस्तिष्क में न्यूरोन होते हैं।
सेरीब्रल कॉर्टेक्स के विभिन्नउपांगों का प्रतिशत - फ्रन्टल लोब 41%, टेम्पोरल लोब22%, पेराइटल लोब 19% और ओसिपिटल लोब18% होता है। FAST यह फास्ट किस बला का नाम है?
FASTया एफ.ए.एस.टी. स्ट्रोकके प्रमुख लक्षणों को तुरन्त पहचानने और बिना समय गंवाये रोगी को अस्पताल ले जाने और जागरुकता लाने का स्मृतिसूत्र (Mnemonic)है। ताकि रोगी का समय पर उपचार शुरू हो सके और उसकी जान बचाई जा सके।इसे इंगलैन्ड के स्ट्रोक विशेषज्ञों ने 1998 में विकसित किया था। आप इसे याद रखेंऔर दूसरे लोगों को भी बतलायें।
यहाँ FAST कामतलब है।
F = Facial weakness रोगी हँसे तो एक तरफ का चेहरा, होंठ या आँख लटक जांये,
A = Arm weakness रोगी को दोनों हाथ उठा कर सामने फैलाने को कहा जाये तो एक हाथ ठीक से उठ न पाये और अगर उठ भी जाये तो वापस नीचे झुक जाये,
S = Speech difficulty रोगी की आवाज लड़खड़ाये, वह छोटे-छोटे वाक्य भी न बोल पाये और समझ में नहीं आये कि वह क्या कह रहा है।
T = Time to act ऐसी स्थिति में रोगी को तुरन्त अच्छे अस्पताल ले जाइये ताकि 3 घन्टे के भीतर उसे टिश्यु प्लाज्मिनोजन एक्टिवेटर का इन्जेक्शन लग जाये और उसकी जान बचाई जा सके।
कारण
स्ट्रोक में मस्तिष्क का कुछ हिस्सा रक्त-प्रवाह बाधित होनेके कारण मृत होने लगता है। मुख्यतः स्ट्रोक दो प्रकार का होता है। पहला है अरक्तता या इस्केमिक स्ट्रोक जो सबसे आम है और किसी धमनी के अवरुद्ध होने की वजह से होता है। दूसराहै रक्तस्राव दौरा या हेमोरेजिकस्ट्रोक जो किसी रक्त-वाहिका के फटने या रिसाव होने पर होता है। एक तीसरे प्रकार काछोटा और अस्थाई दौरा भी होता है जिसे क्षणिक-अरक्ततादौरा या Transient Ischemic Attack (TIA) कहते हैं, इसमेंमस्तिष्क का रक्त-प्रवाह थोड़ी देर के लिए बाधित होता है।
1- अरक्तता दौरा या इस्केमिक स्ट्रोक –
80-85 प्रतिशत स्ट्रोक इस्केमिक स्ट्रोक ही होते हैं। यहमस्तिष्क की किसी धमनी के संकीर्ण या अवरुद्ध होने के कारण होता है। यह स्ट्रोक भी दो विकृतियों के कारण होता है।
थ्रोम्बोटिक स्ट्रोक – यह स्ट्रोक मस्तिष्क को रक्त पहुँचाने वाली कोई धमनी जैसे केरोटिड या मस्तिष्क की कोई अन्य धमनी (सेरीब्रल,वर्ट्रिब्रोबेसीलर या कोई छोटी धमनी) में खून जम जाने या थक्का (Clot)बनने से होता है। एथेरोस्क्लिरोसिस रोग में धमनियों की भीतरी सतह पर फैट जमा होजाता है, जिसे प्लॉक कहते हैं। थ्रोम्बोटिक स्ट्रोक इस प्लॉक पर खून का थक्का बनजाने से धमनी में आई रुकावट के कारण होता है।
मस्तिष्क के बांये गोलार्ध में 18.6करोड़ न्यूरोन अधिक होते हैं, इसे प्रमुख गोलार्ध (DominantHemisphere) कहते हैं।
मस्तिष्क में 750-1000 मि.ली. रक्तप्रति मिनट प्रवाहित होता है, जिससे उसे 46 cm3 ऑक्सीजनप्राप्त होती है। इस ऑक्सीजन का 6% सफेद-द्रव्य (WhiteMatter) को और शेष स्लेटी-द्रव्य (Grey Matter) को मिलता है।
मस्तिष्क ऑक्सीजन के बिना 4 से 6मिनट जीवित रह सकता है, उसके बाद इसकी कोशिकायें मरने लगती हैं।
न्यूरोन्स में सूचनाओं के प्रवाह कीन्यूनतम गति 416 कि.मी. प्रति घन्टा है जो विश्व की सबसे तेज सुपर कार से भी अधिक है।
मस्तिष्क को रक्त मिलना बंद हो जायेतो 10 सेकण्ड में व्यक्ति बेहोश हो जाता है।
मस्तिष्क का भार शरीर का मात्र 2% होता है लेकिन यह शरीर की 20% ऊर्जा ग्रहण करता है।इस ऊर्जा से 25 वाट का बल्ब जल सकता है।
मस्तिष्क में 70,000 विचार प्रतिदिनआते हैं।
तीस वर्ष के बाद मस्तिष्क हर साल 0.25% सिकुड़ जाता है।
मस्तिष्क में जितने विद्युत संदेश एकदिन में पैदा होते हैं उतने दुनिया भर के टेलीफोन भी नहीं करते हैं।
क्या होता है स्ट्रोक या दौरा याब्रेन अटेक?
मस्तिष्क और नाड़ियों को जीवित और सक्रिय रहने के लिए भरपूर ऑक्सीजनऔर पौषक तत्वों की निरंतर आवश्यकता रहती है जो रक्त द्वारा प्राप्त होते हैं।मस्तिष्क और नाड़ी-तंत्र के सभी हिस्सों मेंविभिन्न रक्त-वाहिकाऐं निरंतर रक्त पहुँचाती है। जब भी इनमेंसे कोई रक्त-वाहिका क्षतिग्रस्थ या अवरुद्ध हो जाती है तोमस्तिष्क के कुछ हिस्से को रक्त मिलना बन्द हो जाता है। यदि मस्तिष्क के किसीहिस्से को 3-4 मिनट से ज्यादा रक्त की आपूर्ति बन्द हो जाये तो मस्तिष्क का वह भागऑक्सीजन व पौषक तत्वों के अभाव में नष्ट होने लगता है, इसे ही स्ट्रोक या दौरा कहते हैं।
सबसे अच्छी बातयह है कि चिकित्सा-विज्ञान ने इस रोग के उपचार में बहुत तरक्की कर ली है और आज हमारेन्यूरोलोजिस्ट पूरा ताम-झाम लेकर बैठे हैं और उनके पिटारे में इस रोग के बचाव औरउपचार के लिए क्या कुछ नहीं है। इसीलिए पिछले कई वर्षों में स्ट्रोक से मरने वालेरोगियों का प्रतिशत बहुत कम हुआ है। बस यहजरुरी है कि रोगी बिना व्यर्थ समय गंवाये तुरन्त अच्छे चिकित्सा-कैंन्द्र पहुँचे ताकिउसका उपचार जितना जल्दी संभव हो सके शुरू हो सके। समय पर उपचार शुरू हो जाने सेमस्तिष्क में होने वाली क्षति और दुष्प्रभावों को काफी हद तक रोका जा सकताहै।
स्ट्रोक की व्यापकता
विश्व में हर 45 सेकन्डमें किसी न किसी को स्ट्रोक हो जाता है (एक वर्ष में 700,000)।
विश्व में हर तीनमिनट में स्ट्रोक का एक रोगी परलोक सिधार जाता है।
स्ट्रोक हृदयरोग औरकैंसर के बाद मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण है।
हमारे देश में 60 वर्ष से ऊपर की उम्र के लोगों में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारणस्ट्रोक है।
15 से 59 आयुवर्गमें मृत्यु का पांचवां सबसे बड़ा कारण है।
स्ट्रोक दीर्घकालीनविकलांगता का सबसे बड़ा कारण है।
मधुमेह के रोगियोंमें स्ट्रोक का जोखिम 2-3 गुना अधिक रहता है।
उच्त-रक्तचाप के30-50% रोगियों को स्ट्रोकका जोखिम रहता है।
हर छठेव्यक्ति कोजीवन में कभी न कभी स्ट्रोक होता है।
हर साल 29 अक्टूबरको स्ट्रोक जागरूकता दिवस मनाया जाता है।
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्युरोलोजिकल डिसऑर्डर्सएंड स्ट्रोक NINDS द्वारा करवाए गए एक पांच सालाना अध्ययन से पता चला है जिनलोगों को स्ट्रोक शुरू होने के तीन घंटे के भीतर टीपीए दवा का इन्जेक्शन दे दिया जाताहै, उनमें स्ट्रोक से पैदा हुई खराबी के ठीक होने की संभावना 30% और बढ़ जाती हैतथा तीन महीने बाद इनमें नाम मात्र की अक्षमता ही शेष रह जाती है और अक्सर लक्षणपूरी तरह समाप्त हो जाते हैं ।
Date6-9-2011
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