सोमवार, 7 फ़रवरी 2011
केंद्र-राज्य टकराव का प्रतीक है अनशन
केंद्र-राज्य टकराव का प्रतीक है अनशन
(08/02/11)
भोपाल. मुख्यमंत्री शराज सिंह चौहान के आगामी 13 फरवरी को भोपाल में केंद्र सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियों के खिलाफ अनशन की शुरुआत केंद्र और राज्य के बीच सीधे टकराव के रूप में देखी जा रही है।
प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में किसी मुख्यमंत्री के केंद्र सरकार के खिलाफ अनशन का यह संभवत: पहला मामला होगा।
मुख्यमंत्री राजधानी के टीटी नगर कम्युनिटी हॉल के समीप अनशन की शुरुआत 13 फरवरी को सुबह 10 बजे करेंगे। भाजपा उसी दिन या उसके अगले दिन से प्रदेश स्तर पर किसी बड़े आंदोलन की घोषणा भी कर सकती है। यह निर्णय प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा की मौजूदगी में सोमवार को प्रदेश कार्यालय में हुई बैठक में लिया गया। बाद में झा सहित अन्य नेताओं ने अनशन स्थल का निरीक्षण भी किया।
विधि विशेषज्ञों का कहना है कि मुख्यमंत्री का अनशन पर बैठना संविधान का उल्लंघन नहीं है। लेकिन यह केंद्र और राज्य के रिश्तों में बढ़ती दरार को जरूर दर्शाता है। हाल ही में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी राज्य सरकार के खिलाफ भोपाल में अनशन पर बैठे थे।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि देश में संविद सरकारों दौर में 1968-69 के दौरान पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री अजॉय मुखर्जी अपने ही उप मुख्यमंत्री ज्योति बसु से किसी मुद्दे पर नाराज होकर अनशन पर बैठ गए थे। उनका यह अनशन 24 घंटे से भी अधिक समय तक चला था।
संविद सरकार के समय ही मप्र में तत्कालीन जेल मंत्री पवन दीवान ने कैदियों से जुड़े विषय को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन शुरू किया। नब्बे के दशक से गठबंधन सरकारों के दौर की शुरुआत के बाद केंद्र और राज्यों में अलग-अलग सरकारें बनने लगीं। उसी समय से दोनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति की शुरूआत हुई।
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