कांग्रेस को करारी शिकस्त
भोपाल, 17 फरवरी 2011। तीन राज्यों की चार विधानसभा सीटों पर गत 14 फरवरी को हुए उपचुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी है। चार में से तीन सीटों पर उसके उम्मीदवार थे लेकिन वह एक भी सीट जीतने में सफल नहीं रही। इनमें से दो सीटों पर तो पिछले दो दशकों से उसका कब्जा था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मध्य प्रदेश की दो तथा छत्तीसगढ़ व झारखण्ड की एक-एक सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों को भारी अंतर से हराकर शानदार जीत हासिल की।
मध्यप्रदेश में धार जिले की कुक्षी और देवास जिले की सोनकच्छ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुआ था। भाजपा ने 21 साल बाद पहली बार कुक्षी सीट कांग्रेस से छीनते हुए उस पर अपना कब्जा जमाया जबकि सोनकच्छ सीट भी वह दो दशक बाद कांग्रेस से छीनने में सफल रही।
भाजपा के मुकाम सिंह किराड़े को कुक्षी में 16,651 से अधिक मतों से जीत मिली जबकि सोनकच्छ सीट पर राजेन्द्र वर्मा ने 19,000 मतों से अंतर से चुनाव जीता। वर्मा पूर्व मुख्यमंत्री फूलचंद वर्मा के बेटे हैं।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जमुना देवी के निधन से कुक्षी विधानसभा सीट खाली हुई थी। वह लम्बे समय तक विधानसभा में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती रहीं। कुक्षी से जीत हासिल करने वाले किराड़े राज्य सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री रंजना बघेल के पति हैं। कांग्रेस ने किराड़े के खिलाफ जमुना देवी की भतीजी निशा मिंधर को उतारा था।
सोनकच्छ सीट देवास से सांसद व कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा के इस्तीफे से खाली हुई थी। लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। सोनकच्छ में कांग्रेस ने सांसद वर्मा के भतीजे अर्जुन वर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया था। दोनों सीटों पर 14 फरवरी को मतदान कराया गया था।
जीत से उत्साहित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, इससे लगता है कि प्रदेश की जनता को हम पर भरोसा है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा ने कहा, यह प्रदेश सरकार की उपलब्धियों की जीत है। हमारे कार्यकर्ताओं की जीत है। साथ ही यह कांग्रेस के मुंह पर एक तमाचा भी है जो किसानों के मुद्दे पर प्रदेश की जनता को बरगला रही थी।
उधर, झारखण्ड में मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के पद पर बने रहना सुनिश्चित हो गया है। राज्य की खरसांवा सीट एक बार फिर उन्होंने जीत ली है। यहां भी गत 14 फरवरी को उपचुनाव हुआ था।
मुंडा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और झारखण्ड विकास मोर्चा-प्रजातांत्रिक (जेवीएम-पी) के उम्मीदवार कृष्णा गागाराय को 17,000 से अधिक मतों से पराजित किया।
जीत हासिल करने के बाद मुंडा ने कहा, यह राज्य के लोगों की जीत है। खरसांवा के लोगों ने विकास के पक्ष में मतदान किया है।
मुंडा को इस जीत कि काफी आवश्यकता थी क्योंकि संवैधानिक आवश्यकताओं के मुताबिक मुख्यमंत्री बनने के छह महीने के भीतर विधानसभा की सदस्यता हासिल करना अनिवार्य है। पिछले साल सितम्बर में वह राज्य के मुख्यमंत्री बने थे।
मतगणना का काम सुबह आठ बजे शुरू हुआ। तीसरे दौर में मुंडा अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी गागाराय से 860 मतों से पीछे चल रहे थे लेकिन बाद में उन्होंने पर्याप्त बढ़त बना ली। मुंडा को 61,701 जबकि गागाराय को 44,355 मत मिले।
इससे पहले मुंडा खरसांवा सीट से वर्ष 1995 में भी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के टिकट पर विजयी हुए थे, लेकिन वर्ष 2000 में विधानसभा चुनाव से पहले ही वह भाजपा में शामिल हो गए थे। मुंडा इस सीट से वर्ष 2000 और 2005 में भाजपा के टिकट पर विजयी हो चुके हैं।
वर्ष 2009 में भाजपा के मंगल सिंह सॉय इस सीट से विजयी हुए थे लेकिन मुंडा के लिए उन्होंने पिछले साल ही इस सीट से इस्तीफा दे दिया था। छत्तीसगढ़ के संजरी बालोद विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी भाजपा को जीत मिली है। भाजपा की उम्मीदवार कुमारी बाई साहू ने अपने इस उपचुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के मोहन पटेल को लगभग 9500 मतों के अंतर से पराजित किया। इस उपचुनाव में 15 उम्मीदवार अपना राजनीतिक भविष्य आजमा रहे थे।
कुमारी बाई साहू के पति मदनलाल साहू के निधन से यह सीट खाली हुई थी। भाजपा विधायक साहू का गत वर्ष अगस्त में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। जीत के बाद मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा, यह जीत उनके विकास के कामों और सरकार की नीतियों पर जनता की मुहर है।
इस जीत के साथ 90 सदस्यीय राज्य विधानसभा में भाजपा सदस्यों की संख्या 49 हो गई है। विधानसभा में कांग्रेस के 39 और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दो सदस्य हैं।
Date: 17-02-2011
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