अब बिजली की नई दरों का झटका देने की तैयारी
भोपाल। चौतरफा महंगाई से परेशान आम आदमी जल्द ही बिजली दरों में होने वाली बढ़ोतरी से गश खाने वाला है। बिजली कंपनियां इस बार घरेलू उपभोक्ताओं को नई दरों का झटका देने की तैयारी में जुट गई है। बिजली कंपनियों का तर्क है कि वे अभी घरेलू उपभोक्ताओं को लागत की तुलना में सस्ती बिजली बेच रही हैं।
पेट्रोल, दूध, खाद्य सामग्री, सब्जियों के बाद गर्मियों में बिजली की दरों में भी वृद्धि प्रस्तावित है। लागत से सस्ती बिजली देने से हो रहे घाटे की भरपाई करने के लिए कंपनियां बीस प्रतिशत तक दर बढ़ाने के प्रस्ताव बना रही है। सूबे में अभी घरेलू उपभोक्ताओं से 3.71 रुपए प्रति यूनिट की दर पर बिजली दी जा रही है, जबकि बिजली की लागत मूल्य औसत 4.22 रुपये प्रति यूनिट हैं। कंपनियों की मानें तो अब लागत साढ़े 6 रुपये प्रति यूनिट हो चुकी है। कंपनियां संशोधित दरों का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग के सामने पेश करने की तैयारी में है। आयोग प्रस्तावित दरों को शब्दश: माने यह जरूरी नहीं है, लेकिन इतना तय है कि बीस प्रतिशत तक बढ़ोतरी होगी। 20 प्रतिशत इसलिए क्योंकि नए नियमों के मुताबिक इससे अधिक बिजली दरें नहीं बढ़ाई जा सकेगी। इस नए नियम से व्यावसायिक उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, पर घरेलू उपभोक्ताओं का मरण हो जाएगा। क्योंकि बिजली कंपनियों का दावा है कि वो घरेलू उपभोक्ताओं को लागत से भी कम दर पर बिजली दे रही हैं। जहां तक कारोबारी बिजली का सवाल है तो वह लागत से बीस प्रतिशत से भी अधिक दर पर बिकती आई है।
राज्य विद्युत नियामक आयोग ने राष्ट्रीय बिजली दर नीति के तहत वर्ष-2011 से बीस प्रतिशत तक ही बिजली दर बढ़ाने या घटाने फार्मूला लागू करना तय किया है। अभी सबसे महंगी व्यावसायिक बिजली है। इसमें अभी तक लागत से बीस प्रतिशत से भी अधिक दाम वसूले जाते रहे हैं। इस साल इस पर रोक लगेगी। अभी व्यावसायिक बिजली की औसत लागत 4.22 रुपये प्रति यूनिट है। यह लागत पाच से दस पैसे तक भी बढ़ती है तो व्यावसायिक बिजली महंगी होने की बजाए सस्ती हो सकती है, क्योंकि अभी लागत से 30 प्रतिशत तक अधिक कीमत कारोबारी बिजली में वसूली जा रही है। वहीं यदि बिजली की औसत लागत में काफी वृद्धि होती है, तो भी व्यावसायिक बिजली की दरें घरेलू की तुलना में कम ही बढ़ेंगी।
Date: 08-02-2011 Time: 10:40:37
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