गुरुवार, 20 जनवरी 2011

सबरीमाला पर बेकर रिपोर्ट की सुध लेने वाला नहींJan 21, 12:40


तिरुवनंतपुरम। एक तरफ सबरीमाला में हुई भगदड़ को लेकर वहां तीर्थयात्रा प्रबंधन पर बहस हो रही है वहीं दूसरी ओर जाने माने वास्तुविद दिवंगत लौरी बेकर ने 15 वर्ष पहले प्रकृति को नुकसान पहुंचाए बगैर श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक संसाधन तैयार करने के बाबत जो रिपोर्ट तैयार की थी वो आज भी दिन धूल खा रही है।

ब्रिटिश मानवतावादी और कम लागत वाले मकानों के पक्षधर बेकर ने भारतीय नागरिकता लेने के साथ अपनी उम्र के आखिरी पड़ाव का अधिकतर समय केरल में बिताया था। राज्य सरकार द्वारा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बगैर सबरीमाला के श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा मुहैया कराने संबंधी योजना तैयार करने का अनुरोध किए जाने पर उन्होंने वर्ष 1995 में सबरीमाला का दौरा किया था।

बेकर ने 79 वर्ष की उम्र में पंपा से सबरीमाला की कठिन यात्रा की थी। उन्होंने इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद तो जरूर उठाया लेकिन पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाकर वर्षों से चले आ रहे निर्माण कार्य पर उन्होंने गहरी चिंता जताई।

इस बाबत उन्होंने 36 पृष्ठों की एक हस्तलिखित सचित्र रिपोर्ट तैयार की और चेतावनी दी थी कि जब तक आधार शिविर पंपा से सबरीमाला तक चार लेन की सड़क नहीं बनती तो किसी समय कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

बेकर ने लाखों की तादाद में सबरीमाला आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पेयजल और स्वच्छता के अलावा श्रद्धालुओं द्वारा मंदिर की खड़ी चढ़ाई के दौरान उन्हें धूप से बचाने एवं विश्राम के लिए रास्ते के दोनों ओर छायादार वृक्ष लगाने पर जोर दिया था।

उन्होंने लिखा कि प्रकृति प्रेमी होने के चलते मैं पहाड़ों और जंगलों से खासा आकर्षित हुआ। पहले पंपा तक जाने और फिर पैदल सबरीमाला तक की यात्रा ने मुझे सर्वाधिक आनंद और सकून दिया, लेकिन इसी दौरान बेकर ने कहा कि मुझे यह कहते हुए दुख होता है कि विश्व प्रसिद्ध मंदिर और इसके आस पास के पर्यावरण ने मुझे काफी निराश किया। मुझे हमेशा महसूस हुआ कि मंदिर की शांति और इसकी सादगी तब तक अधूरी है जब तक यह प्रकृति की पूर्णता और सुंदरता के बीच तालमेल करने में सक्षम न हो।

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