मामला पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय का
कार्यपरिषद के पूर्व सदस्य पर धोखाधड़ी का प्रकरण
उज्जैन, 4 जनवरी, 2011। महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन की कार्यपरिषद के एक पूर्व सदस्य और दैनिक राजएक्सप्रेस इंदौर के मार्केटिंग प्रभारी हर्ष जायसवाल के खिलाफ सोमवार को धोखाधड़ी की धारा 420, 467, 468, 471 के अंतर्गत प्रकरण पंजीबद्घ हो गया है। विश्वविद्यालय की ओर से दिए गए आवेदन की जांॅच के बाद यह प्रकरण दर्ज किया गया है।
माधवनगर थाने में दर्ज प्रकरण के अनुसार हर्ष जायसवाल 25, लक्ष्मीबाई मार्ग मालीपुरा विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद में सदस्य के रूप में नामांकित थे। आवेदन के अनुसार उन्होंने 17-18 अगस्त को स्थापना दिवस के कार्यक्रम के अवसर पर भोपाल से उज्जैन आने-जाने के लिए उज्जैन-भोपाल के मध्य यात्रा दर्शाते हुए वाहन टैक्सी के तीन हजार रुपए का फर्जी बिल विश्वविद्यालय के समक्ष प्रस्तुत किया था। मामले में कुलाधिपति ने 4 नवंबर-10 को उनकी सदस्यता समाप्त कर दी है। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से 26 नवंबर-10 को उनके खिलाफ थाने में आवेदन दिया गया, जिसकी जांॅच के बाद प्रकरण दर्ज किया गया है।
यह है मामला - फर्जी बिल के आधार पर टैक्सी का किराया वसूलने के मामले में शिकायत राजभवन में की गई थी। राजभवन ने इस मामले में महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के कुलपति से विस्तृत जांॅच प्रतिवेदन मांॅगा था। प्रतिवेदन के अनुसार वाहन क्र. एमपी-04-सीई-8666 निजी वाहन है और यह दर्शाई गई तिथि पर उज्जैन-भोपाल के मध्य टोल प्लाजा से नहीं गुजरा था। इसके अलावा जांॅच अभिलेख में इस निष्कर्ष का उल्लेख भी किया गया था कि हर्ष जायसवाल ने उज्जैन निवासी होने के बावजूद स्थापना दिवस समारोह में भोपाल से उज्जैन और फिर उज्जैन से भोपाल तक की यात्रा का जाली बिल प्रस्तुत करते हुए नियम विरुद्घ टैक्सी किराए की राशि तीन हजार रुपए प्राप्त की। उनका यह कृत्य विश्वविद्यालय के हितों के विपरीत है। साथ ही यह कृत्य एक आपराधिक साजिश होकर दंडनीय अपराध है।
? डॉ. अरुण जैन
Date: 04-01-2011 Time: 18:37:03
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