सोमवार, 3 जनवरी 2011

‘उनके अपने ही लोगों’


हुर्रियत के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि उनके एक भाई और दो अलगाववादी नेताओं की हत्या ‘उनके अपने ही लोगों’ ने की, न कि सुरक्षा एजेंसियों ने।

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के पूर्व अध्यक्ष अब्दुल गनी बट्ट ने कहा कि हत्याओं में कोई पुलिसकर्मी शामिल नहीं था। वे अपने ही लोग थे जिन्होंने उनकी हत्याएँ कीं। उन्होंने कहा कि मीरवाइज मोहम्मद फारूक, अब्दुल गनी लोन तथा उनके भाई मोहम्मद सुल्तान बट्ट की हत्याओं के बारे में सच्चाई बताने का समय आ गया है। भट्ट की 1995 में और फारूक तथा लोन की 2002 में हत्या कर दी गयी थी।

हत्यारों की पहचान के बारे में पूछे जाने पर भट्ट ने कहा कि उन्हें पहचानने की जरूरत क्या है? उनकी पहले ही पहचान हो चुकी है। अलगाववादी नेताओं ने उनकी हत्याओं के लिए सुरक्षाबलों को जिम्मेदार ठहराया था।

बट्ट ने कहा कि उनके भाई सुल्तान भी उन लोगों की गोलियों के शिकार हुए जो अलगाववाद का समर्थन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं उस समय भी यह कहा था और अब भी मैं यही कह रहा हूँ। मेरे मन में कोई भ्रम नहीं है।

हुर्रियत के अन्य उदारवादी नेताओं ने बट्ट की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देने से परहेज किया। राज्य सरकार का कहना है कि उस समय हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर मोहम्मद अब्दुल्ला बंगारू ने मीरवाइज मोहम्मद फारूक की हत्या की थी, जबकि लोन की हत्या अल उमर मुजाहिदीन के एक कमांडर ने की थी।

माना जाता है कि हिज्बुल मुजाहिदीन का झुकाव वैचारिक रूप से हुर्रियत की ओर है, जबकि अल उमर अवामी एक्शन कमेटी का आतंकवादी धड़ा है।

गिलानी ने अविभाजित हुर्रियत के पूर्व अध्यक्ष के बयान पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मुझे उनके बयान पर कोई टिप्पणी नहीं करनी है। माकपा के राज्य सचिव एमवाई तारीगामी ने कहा कि बट्ट के बयान में हुए खुलासे की विश्वसनीय जाँच कराए जाने की जरूरत है।

राज्य के पुलिस महानिदेशक कुलदीप खोड़ा ने कहा कि उन लोगों ने पीड़ितों और हत्यारे दोनों को शहीद घोषित कर रखा है। (भ

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