सवालों के घेरे में -फीस कमेटी
भोपाल, 10जनवरी 2011। राज्य सरकार द्वारा 1 जुलाई, 2010 को गठित एडमिषन एंड फी रेगुलेटरी कमेटी (एएफआरसी) की वैधता पर ही अब सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि आज तक सरकार ने एएफआरसी की अधिसूचना अपने राजपत्र में प्रकाषित नहीं की।
विशेषज्ञों का मानना है कि एएफआरसी की अधिसूचना राजपत्र में प्रकाषित नहीं होने से इसके द्वारा वर्ष 2010-11 और आने वाले 3 वर्षों के लिये एमबीबीएस एवं डेटल पाठ्यक्रमों के लिये निर्धारित की गई फीस के निर्णयों को चुनौती दी जा सकती है। वरिष्ठ अधिवक्ता परितोष गुप्ता का कहना है कि एएफआरसी की अधिसूचना राजपत्र में प्रकाषित न होने से यह समिति पूरी तरह वैध नहीं हैं। मप्र तकनीकी षिक्षा विभाग ने 1 जुलाई, 2010 करे एएफआरसी का गठन किया था। बरकतउल्ला विष्वविद्यालय के पूर्व कुलपति हर्षवर्धन तिवारी को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। इसके साथ ही चार अन्य विषेषज्ञों को इसका सदस्य बनाया गया था। इनमें विधि विभाग के सचिव, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के सदस्य (वित्त) एवं तकनीकि षिक्षा विभाग के संचालक भी शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार, तकनीकी षिक्षा विभाग ने एएफआरसी का गठन सामान्य प्रषासन विभाग के संचालक भी शामिल हैैं।
कहा जाता है कि सामान्य प्रषासन विभाग के आदेष के बाद भी इस एएफआरसी की अधिसूचना राजपत्र में प्रकाषित करना अनिवार्य हैैं। उधर, एएफआरसी राजपत्र में अधिसूचना प्रकाषित न होने से फीस निर्धारण समिति की वैधता पर उठे सवालों के बाद अब प्रायवेट इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों के संचालक, विषेष रुप से वे जो सरकार की इस समिति के फीस निर्धारण से नाखुष हैं, उन्होंने अब सरकार पर निषाना साधने का मन बना लिया है।
Date: 10-01-2011 Time: 18:54:37
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