सोमवार, 10 जनवरी 2011

सोशल नेटवर्किग समय की जरूरत: सिब्बल


नई दिल्ली तेजी से बदलाव और इंटरनेट के आसपास सिमटते नये ज्ञान भंडार के इस दौर में ऊंची तालीम हासिल करने के पुराने तौर-तरीके लगभग अप्रासंगिक हो गये हैं। इसलिए उन्हें छोड़ मौजूदा जरूरतों के लिहाज से हर तरह का ज्ञान साझा करने के लिए डिजिटल और आपसी वैश्विक सहयोग का रास्ता ही सबसे मुनासिब होगा। इतना ही नहीं, उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों का सोशल नेटवर्किंग से जुड़ना भी समय की जरूरत है।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि उच्च शिक्षा का वह पुराना दौर बेमायने हो चुका है, जहां पढ़ाई का मतलब सिर्फ कुछ पढ़ना था और शिक्षक महज एक प्रसारक की भूमिका होता था। उस दौर की पढ़ाई के तौर-तरीकों से मौजूदा जरूरतें कतई पूरी नहीं हो सकती। लिहाजा 21वीं सदी के विश्वविद्यालयों को कामयाबी की मंजिल तक पहुंचने के लिए वैश्विक स्तर पर आदान-प्रदान व आपसी गठजोड़ का मॉडल अख्तियार करने की जरूरत है।

सिब्बल सोमवार को यहां प्रौद्योगिकी शिक्षा को लेकर '21 सदी के विश्वविद्यालय : शिक्षा व नये अंवेषण [इनोवेशन] के संव‌र्द्धन' विषय पर भारत-अमेरिका कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर आपसी ज्ञान के परस्पर सहयोग के लिए अभियान चलाना समय की जरूरत है। जिसमें पाठ्यक्रमों की सामग्री का आदान-प्रदान, साझा प्रयास, साझे शोध और सामूहिकता में पढ़ने-सीखने का रास्ता शामिल है। मसलन विश्वविद्यालयों-कॉलेजों को सिर्फ पाठ्य सामग्री ही नहीं, बल्कि उन्हें अपने लेक्चर नोट, वीडियो क्लिप्स व परीक्षाओं से संबंधित सामग्री भी इंटरनेट पर डालने की जरूरत है। एकाध उच्चच्प्रौद्योगिकी संस्थानों ने तो यह काम शुरू भी कर दिया है। पढ़ाई की नई सामग्री के मामले में इंटरनेट सबसे सशक्त माध्यम बनकर उभरा है।

ऐसे में उच्चच्शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों के लिए सोशल नेटवर्किंग [फेसबुक जैसा] बहुत कारगर साबित हो सकता है। इसे अपनाकर वे अपने छात्रों को और बेहतर सहयोग कर सकते हैं। पुर्तगाल ने तो इसकी शुरुआत करके अपने शिक्षकों को ऑनलाइन कर रखा है।

भारत-अमेरिका द्विपक्षीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी फोरम व मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में प्रौद्योगिकी में शोध बढ़ाने और उच्चच्प्रौद्योगिकी संस्थानों की चुनौतियों पर भी चर्चा होनी है। कार्यशाला में अमेरिकी व भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। कार्यशाला से भारत-अमेरिका उच्चच्शिक्षा सम्मेलन की पृष्ठभूमि भी तैयार होगी, जो 2011 के अंत तक संभावित है।

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