मंगलवार, 4 जनवरी 2011

मध्यप्रदेश विशेष न्यायालय विधेयक के मसौदे को मंत्रि परिषद की मंजूरी

मध्यप्रदेश विशेष न्यायालय विधेयक के मसौदे को मंत्रि परिषद की मंजूरी
भ्रष्ट लोक सेवकों की सम्पत्ति राजसात करने का प्रस्ताव
भोपाल 4 जनवरी 2011। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज संपन्न मंत्रि परिषद की बैठक में प्रदेश में भ्रष्टाचार पर पूर्ण नियंत्रण लगाने तथा इसके निर्मूलन के लिये मध्यप्रदेश न्यायालय विधेयक 2011 के मसौदे को मंजूरी दी गई। विधेयक आगामी विधानसभा सत्र में प्रस्तुत किया जायेगा।
विधि एवं विधायी मंत्री और राज्य शासन के प्रवक्ता डा. नरोत्तम मिश्रा ने मंत्रि परिषद के निर्णयों की जानकारी देते हुये बताया कि विधेयक में कतिपय अपराधों के त्वरित विचारण और उनमें निहित सम्पत्तियों का अधिहरण करने के लिये विशेष न्यायालय के गठन का प्रावधान प्रस्तावित है। लोक सेवकों द्वारा भ्रष्ट तरीके से अर्जित आय से अधिक अनुपातहीन सम्पत्ति को राजसात किये जाने का विधेयक में प्रस्ताव है। विशेष न्यायालय में जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश स्तर के न्यायाधीश पदस्थ किये जा सकेंगे। विशेष न्यायालय के निर्णय के विरूद्ध उच्च न्यायालय में ही अपील की जा सकेगी, किसी अन्य न्यायालय में नहीं। विशेष न्यायालय एक वर्ष के अन्दर मामले को निपटाने का प्रयास करेगा।
विधेयक में मध्यप्रदेश के पूर्व या वर्तमान लोक सेवकों के मामले प्रस्तावित विशेष न्यायालयों को सौंपने तथा पूर्व से अन्य न्यायालयों में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के उपबंधों के तहत प्रचलित मामले विशेष न्यायालयों को हस्तांतरित करने का भी प्रावधान है।
विधेयक में यह भी प्रस्तावित किया गया है कि यदि राज्य सरकार को प्रथम दृष्टया यह विश्वास हो जाये कि लोक सेवक द्वारा धन या सम्पत्ति का अर्जन अपराध के द्वारा किया गया है तो संबंधित लोक सेवक की संपत्ति जप्त कर अधिहरण करने के लिये वह विशेष न्यायालय के समक्ष आवेदन कर सकती है। विशेष न्यायालय प्रकरण के अंतिम निराकरण तक ऐसी संपत्ति को अधिनियम में प्रस्तावित प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई कर अस्थायी रूप से तथा आपराधिक प्रकरण में लोक सेवक के दोषी पाये जाने पर पूर्ण रूप से संपत्ति का अधिहरण राज्य शासन को हो सकेगा।

Date: 04-01-2011 Time: 14:57:39

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