सोमवार, 31 जनवरी 2011
धरती पर दिखने लगेंगे दो सूरज,
जहां अभी-अभी वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि धरती पर दिखने लगेंगे दो सूरज, वहीं एक ओर नासा के वैज्ञानिकों ने ये भी रिसर्च की ही कि सूरज अब सिकुड़ रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार सुरज पर पहले से ही धब्बे पाये जाते रहे हैं। इन धब्बों का चक्र लगभग 11 वर्ष होता है, जिसके बाद कुछ नये धब्बे सुरज पर दिखायी देने लगते हैं। पर पिछले 2 सालों से धब्बे दिखायी देने बन्द हो गये हैं, जिससे वैज्ञानिक भी चिन्ताजहां कुछ समय बाद धरती पर 2 सूरज दिखाई देने कि बात है वहीं दूसरी और सूरज के सिकुड़ने कि बात भी सामने है। अब नतीजा कुछ भी हो पर ये बात तो तय है कि सूरज में पहले से बहुत बदलाव आया है और आने वाला है जिसका असर धरती पर पड़ना स्वाभाविक है।
(वैज्ञानिको द्वारा सूरज के धब्बो के गायब होने के कारण सूरज की चुम्बकीय क्षमता के कम होने का ये ग्राफ दर्शया गया है "Sunspot magnetic fields are dropping by about 50 gauss per year," says Penn. "If we extrapolate this trend into the future, sunspots could completely vanish around the year 2015.")
में आ गये हैं।
नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसा कभी नहीं हुआ कि सुरज पर धब्बे कभी न दिखाई दें। ऐसा होना कोई साधारण घटना नहीं है। सूरज के धब्बों के गायब होने का मतलब है कि सूरज अपनी चुम्बकीय क्षमता खो रहा है, जिससे धरती पर नुकसान का अंदाजा वैज्ञानिकों ने लगा लिया है. कुछ वैज्ञानिक इसके कारण भीषण सौर तूफ़ान आने कि चेतावनी दे रहे हैं, वहीं कुछ वैज्ञानिक कहा रहे हैं कि इसके कारण धरती पर तापमान इतना गिर जाएगा कि जीवन मुस्किल हो जाएगा. अब सवाल ये है कि ऐसा क्यों हो रहा है?
काफी मेहनत के बाद नासा के वैज्ञानिक डेविड हेतवे और उनकी टीम ने वर्षों की रिसर्च के बाद ये पाता लगाया कि गैस के 2 बेल्ट सूरज कि परिकिरमा करते हैं जिनमे से एक की गति काफी बढ़ गयी है जिसके कारण ऐसा हो रहा है। लेकिन इतना ही नहीं अब तो पर्यावरणविदों द्वारा यहाँ तक अनुमान लगया जा रहा है कि जिस सूरज को ग्लोबल वार्मिंग का कारण माना जाता रहा है अब वो ही खुद कटघरे में खड़ा है। वो कहा रहे हैं कि सूरज भी प्रकृति में बदलाव का शिकार हुआ है।
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